विदेशों से घर पैसा भेजने वालों में भारतीय टॉप पर हैं. यूनाइटेड नेशंस माइग्रेशन एजेंसी ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि साल 2022 में दूसरे देशों से भारत में 111 बिलियन डॉलर भेजे गए हैं और यह आंकड़ा दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है. 111 बिलियन डॉलर के रेमिटेंस के साथ भारत 100 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार करने वाला पहला देश बन गया है, जहां एक साल में विदेश से इतनी बड़ी रकम भेजी गई है. दूसरे देशों में करीब 2 करोड़ प्रवासी भारतीय रहते हैं, जो हर साल अरबों डॉलर अपने परिवारों को भेजते हैं, जिसे रेमिटेंस कहा जाता है.
सबसे ज्यादा रेमिटेंस प्राप्त करने वाले टॉप 10 देशों में 4 एशिया के
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010 में भारत में रेमिटेंस के तौर पर 53.48 बिलियन डॉलर आए थे. 2015 में 68.19 बिलियन डॉलर और 2020 में 83.15 बिलियन डॉलर प्रवासी भारतीयों ने अपने परिवारों को भेजे. रिपोर्ट में कहा गया कि सदर्न एशिया के सबसे ज्यादा माइग्रेंट वर्कर हैं इसलिए दुनियाभर में रेमिटेंस प्राप्त करने के मामले में यह सबसे आगे हैं. पाकिस्तान में 30 बिलियन डॉलर और बांग्लादेश में 21.5 बिलियन डॉलर रेमिटेंस के तौर पर प्राप्त हुए हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि विदेशों में काम कर रहे माइग्रेंट वर्कर जो रकम भेजते हैं वह कई लोगों के लिए लाइफलाइन है, लेकिन यहां के असंख्य माइग्रेंट वर्करों को आर्थिक तंगी समेत कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. माइग्रेशन के खर्चों के चलते इन पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है. वर्कप्लेस पर दुर्व्यवहार और नौकरी के समय जिनोफोबिया (Xenophobia) जैसी चीजों का सामना करना पड़ता है. जिनोफोबिया यानी विदेशियों को नापसंद करना है.
भारत के सबसे ज्यादा नागरिक रहते हैं विदेशों में
दूसरे देशों में जाकर पढ़ाई और नौकरी करने वालों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा माइग्रेंट भारत के हैं. भारत के के करीब 1 करोड़ 80 लाख भारतीय विदेशों में रहते हैं. यह देश की कुल जनसंख्या का 1.3 फीसदी हिस्सा है, जो सबसे ज्यादा संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब में रहता है.
सबसे ज्यादा गल्फ देशों में जाते हैं माइग्रेंट
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर के देशों के सबसे ज्यादा लोग गल्फ देशों में जाते हैं. गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (GCC) के देशों की कुल जनसंख्या में माइग्रेंट्स का हिस्सा अब भी ज्यादा है. यूएई में 88 फीसदी, कुवैत में 73 फीसदी और कतर में 77 फीसदी है. देश में आने वाले प्रवासी नागरिकों के मामले में इंडिया 13वें नंबर पर है. यहां 44 लाख 80 हजार प्रवासी रहते हैं.
पढ़ने के लिए अमेरिका जाते हैं सबसे ज्यादा लोग
अमेरिका में दुनियाभर से सबसे ज्यादा बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं. साल 2021 में 8 लाख 33 हजार प्रवासी छात्र पढ़ने के लिए गए. यूनाइटेड किंगडम में 6,01,000, ऑस्ट्रेलिया में 3,78,000, जर्मनी में 3,76,000 और कनाडा में 3,18,000 छात्र पढ़ाई करने गए थे. वहीं, पढ़ाई करने के लिए विदेश जाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या चीनियों की है और दूसरे नंबर पर भारत है. साल 2021 में 5,08,000 भारतीय छात्र विदेश पढ़ने गए, जबकि चीन में यह नंबर दोगुना है.
रिपोर्ट के अनुसार, दो देशों के बीच नागरिकों के आने जाने वाले टॉप 10 कंट्री में भारत-यूएई, भारत-अमेरिका, भारत-सऊदी अरब, बांग्लादेश-भारत हैं. इसका मतलब है कि इन देशों के नागरिक नौकरी, पढ़ाई और अन्य कारणों से एक-दूसरे के देश में सबसे ज्यादा रहते हैं.
भारत ने आतंकवाद के लड़ाई के लिए पांच लाख डॉलर का योगदान दिया
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में बहुपक्षीय प्रयासों का समर्थन करने की अपनी अटूट प्रतिबद्धता को दिखाते हुए संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी ट्रस्ट फंड में 500,000 डॉलर का योगदान दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (यूएनओसीटी) के अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोन्कोव को देश की ओर से पांच लाख डॉलर का स्वैच्छिक वित्तीय योगदान सौंपा।