एक मौलवी पर ईशनिंदा का आरोप लगना और उसका गिरफ्तार होना इंडोनेशिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। मौलवी का ‘दोष’ बस इतना था कि उसने महिलाओं और पुरुषों को एक साथ नामज पढ़ने की टूट दे दी थी। इतना ही नहीं, उस पर नफरती तकरीर करने का भी आरोप लगा है। प्रशासन का कहना है कि मौलवी ने इस्लामी रस्म की हद लांघी है।
इस्लामी देश इंडोनेशिया में इस्लाम को लेकर कानून बड़े सख्त हैं। गैरइस्लामियों पर तो इनकी तलवार लटकती ही रहती है, लेकिन एक मौलवी का ईशनिंदा और नफरती तकरीर के आरोप में पकड़ा जाना सिर्फ उस देश में ही नहीं, दूसरे देशों में भी हैरानी से देखा जा रहा है। हिजाबी महिलाओं और पुरुषों को साथ साथ नमाज करने देना ऐसा बड़ा अपराध माना गया कि मौलवी को आम लोगों के गुस्से का निशाना बनना पड़ा। यह घटना तीन दिन पहले की बताई जा रही है। स्थानीय पुलिस ने बाकायदा बयान जारी करके मौलवी के पकड़े जाने की सूचना दी है।
यह घटना वहां कितनी चर्चित हुई है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां की पुलिस ने मीडिया को ब्रीफ किया। पुलिस के अनुसार, पश्चिमी जावा में इंद्रमायु जिला है जहां एक स्कूल चलता है अल-जायतुन बोर्डिंग स्कूल। इसे 77 साल के मौलवी पांजी गुमिलांग चलाते हैं। इन्हीं गुमिलांग द्वारा जब अल-जायतुन बोर्डिंग स्कूल में महिलाओं को भी पुरुषों के साथ नमाज पढ़ने की छूट दी गई तो, वहां के कट्टरपंथी संगठन आक्रोशित हो गए। रूढ़िवादियों का विरोध इस बात पर था कि मौलवी गुमिलांग ने इस्लाम विरोधी कृत्य किया है। महिलाएं पुरुषों के साथ नमाज नहीं अता कर सकतीं, आदि।
इंडोनेशिया में पश्चिम जावा प्रांत में आबादी सबसे ज्यादा है। यहां पर जब यह विवाद खड़ा हुआ और उसके वीडियो वायरल हुए तो मामले ने तूल पकड़ लिया। पुलिस के अनुसार, यह विवाद इस घटना के एक वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने की वजह से बढ़ता गया। इस वीडियो में महिलाओं और पुरुषों को साथ में नमाज अता करते देखा जा सकता है। उस इस्लामी देश की प्रशासनिक काउंसिल ने इस चीज को इस्लाम में नमाज की परंपरा के विरुद्ध माना। काउंसिल का कहना था कि उस बोर्डिंग स्कूल में महिलाओं को जुमे की नमाज के दौरान तकरीर भी करने दी गई। ऐसा तो इस्लाम में वर्जित है। तकरीर तो सिर्फ पुरुष ही दे सकते हैं!
इंडोनेशिया के कानूनों की बात करें तो मौलवी गुमिलांग को इन दो आरोपों में करीब 11 साल की सजा हो सकती है। कानून के अनुसार, ईशनिंदा के आरोप में सजा आमतौर पर 5 साल तक की दी जाती है, तो नफरती तकरीर के अपराध में 6 साल तक की सजा का प्रावधान है। दरअसल इस बोर्डिंग स्कूल को लेकर एक लंबे समय से विवाद चला आ रहा था। इसी साल जून में यह मांग भी बहुत तेजी से उठी थी इस स्कूल को बंद होना चाहिए। गुमिलांग को ‘खुले विचारों वाला मौलवी’ कहकर ‘इस्लाम विरोधी’ ठहराया जा रहा था।