भारत सरकार हिंद महासागर में चीन की घुसपैठ और क्षेत्रीय हालात को देखते हुए एक नया विमानवाहक पोत बनाने जा रही है। करीब 4.8 बिलियन डॉलर की लागत से बनने वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर की विस्थापन क्षमता 45000 टन की बताई जा रही है। इसमें एक साथ 28 फाइटरजेट्स और हेलीकॉप्टर की तैनाती हो सकेगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक होने जा रही है। इसमें इसको मंजूरी मिलने के आसार हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि युद्ध पोत पर राफेल फाइटर जेट्स को तैनात किया जा सकेगा। गौरतलब है कि भारत का पहला घरेलू विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पिछले साल नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ था। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाया गया था। देश के पास रूस निर्मित विमान वाहक आईएनएस विक्रमादित्य भी है।
भारतीय नौसेना में एक और विमानवाहक पोत के शामिल होने से भारत की ताकत में इजाफा होगा और वो हिन्द महासागर में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर पाएगा। बता दें कि फिलहाल चीन दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेना है। उसके पास 370 जहाज और कई पनडुब्बियां हैं।
जानकारी के मुताबिक, भारत ने 2030 तक 160 युद्धपोत और 2035 तक 175 युद्धपोत बनाने की योजना बनाई है, जिसकी अनुमानित लागत 2 ट्रिलियन रुपये होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के 60 से अधिक जहाज वर्तमान में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत पर बढ़ती चिंताओं के बीच देश पहले से कहीं अधिक युद्धपोत गश्ती कर रहा है।