‘तीसरा देश शामिल हुआ तो अंजाम बुरा होगा’, आज रात भारत लौटेंगे कई भारतीय छात्र
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य टकराव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच भारत में स्थित ईरानी दूतावास के उप प्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने प्रेस वार्ता में साफ किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, और उनके देश के पास कोई परमाणु बम नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान किसी जंग की तलाश में नहीं है, लेकिन अगर उस पर हमला होता है तो वह आत्मरक्षा के अधिकार के तहत जवाब देगा।
हुसैनी ने कहा कि इजरायल के हमलों में आम नागरिकों की मौत हुई है, और इसी वजह से ईरान ने जवाबी कार्रवाई की। उन्होंने 13 जून को इजरायल द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ का उल्लेख किया, जिसमें ईरान के 14 परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने की आशंका है। इसमें इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय के प्रमुख मोहम्मद मेहदी तेहरानची और ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व प्रमुख फेरेयदून अब्बासी-दवानी जैसे शीर्ष वैज्ञानिक शामिल हैं।
हुसैनी ने चेतावनी दी कि यदि इस संघर्ष में कोई तीसरा देश हस्तक्षेप करता है, तो अंजाम बेहद गंभीर हो सकते हैं। इस वक्त इजरायल की ओर से अमेरिका की संभावित भागीदारी की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिस पर ईरानी अधिकारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
इस दौरान उन्होंने भारत का आभार भी जताया कि उसने ईरान के लोगों के प्रति संवेदना जताई है और ईरान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित निकासी में मदद कर रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि मशहद शहर में करीब 1000 भारतीयों को एकत्र किया गया है, जिन्हें तीन विशेष विमानों से भारत भेजा जा रहा है। इनमें से पहली फ्लाइट आज रात 11:15 बजे भारत पहुंचेगी।
हुसैनी ने उम्मीद जताई कि भारत इस मसले पर इजरायल के हमलों की निंदा करेगा, क्योंकि यह सिर्फ ईरान की बात नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
इस तनावपूर्ण परिस्थिति में भारत एक ओर जहां मानवीय पहलुओं पर फोकस करते हुए अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर राजनयिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश भी कर रहा है।
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