भारतीय रेलवे की तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली को लेकर लंबे समय से यात्रियों में भारी असंतोष रहा है। हर दिन सुबह 10 बजे जैसे ही IRCTC पोर्टल खुलता है, वैबसाइट हैंग हो जाती है, पेमेंट फेल होता है और चंद मिनटों में सभी सीटें भर जाती हैं। अब रेलवे ने इस गुत्थी की जड़ तक पहुँचने का दावा किया है।
2.5 करोड़ फर्जी यूज़र ID और 2.9 लाख संदिग्ध PNR का पर्दाफाश
रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से मई 2025 के बीच रेलवे ने 2.5 करोड़ फर्जी यूज़र आईडी बंद की हैं। ये फर्जी अकाउंट खास तौर से ऐसे एजेंटों और सॉफ्टवेयर ऑपरेटरों द्वारा बनाए गए थे, जो सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर आम यात्रियों को पीछे छोड़ रहे थे।
रेलवे ने इन पांच महीनों में 2.9 लाख संदिग्ध PNR की पहचान की, जो बुकिंग शुरू होने के 5 मिनट के भीतर बना लिए गए थे।
I have pointed this out many time
Although I haven't travelled by Rail for years
I have tried to book for my staff several times
& Failed exactly like this 90% of the time unless it's AC Tatkal where you still might get@PMOIndia @AshwiniVaishnaw https://t.co/LYapGqkZNH
— sandip sabharwal (@sandipsabharwal) June 3, 2025
कैसे होता है यह खेल?
- डिस्पोजेबल ईमेल और फर्जी मोबाइल नंबर से कई ID बनाई जाती हैं।
- ‘सुपर तत्काल’ और ‘नेक्सस’ जैसे बॉट सॉफ्टवेयर इंसानी स्पीड से कई गुना तेज होते हैं।
- बॉट्स सेकेंडों में लॉग-इन, डिटेल भरना और पेमेंट कर देते हैं।
- फिर ये टिकट दोगुने-तीगुने दाम पर बेचे जाते हैं।
रेलवे का जवाबी हमला: नई सुरक्षा और तकनीकी उपाय
रेलवे ने इस डिजिटल धांधली को रोकने के लिए उठाए कई ठोस कदम:
- 6800+ डिस्पोजेबल ईमेल डोमेन ब्लॉक किए गए।
- 20 लाख यूज़र ID अभी समीक्षा के दायरे में।
- एंटी-बॉट सॉफ्टवेयर का उपयोग, जिससे बॉट और इंसान के व्यवहार में अंतर पहचाना जा सके।
- कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क (CDN) से साझेदारी, ताकि ट्रैफिक हैंडलिंग सुधरे।
सुधार के परिणाम: बुकिंग सफलता दर में बढ़ोतरी
रेलवे के अनुसार, 22 मई 2025 को सुबह 10 बजे प्रति मिनट 31,814 टिकट बुक हुए — यह अब तक की सबसे तेज गति है।
- बुकिंग सफलता अनुपात:
⏩ अक्टूबर 2024: 43.1%
⏩ मई 2025: 62.2%
क्या होना चाहिए अगला कदम?
थायरोकेयर के संस्थापक ए. वेलुमणि ने सुझाव दिया है कि यात्रियों को स्लॉट के हिसाब से बुकिंग की अनुमति दी जाए।
इससे भीड़ कम होगी, सर्वर पर लोड घटेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
यात्रियों की दुर्दशा
सामान्य यात्रियों की बात करें तो 90% लोग बुकिंग में विफल रहते हैं और मजबूरी में एजेंटों से महंगे दामों पर टिकट खरीदते हैं।
भारतीय रेलवे ने तत्काल टिकट बुकिंग में वर्षों से चली आ रही ‘डिजिटल दलाली’ पर प्रहार तो किया है, लेकिन यह युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ। जरूरत है एक पारदर्शी, समान अवसर वाला और तकनीकी रूप से मजबूत सिस्टम बनाने की — ताकि आम आदमी को एजेंटों की दया पर न रहना पड़े।