भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को अपने ऐतिहासिक 100वें मिशन की सफल लॉन्चिंग कर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। इस मिशन के तहत GSLV-F15 रॉकेट के माध्यम से NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया गया।
इसरो के नए अध्यक्ष वी. नारायणन का पहला मिशन
यह मिशन इसरो के नए अध्यक्ष वी. नारायणन के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने 13 जनवरी 2025 को कार्यभार संभाला था। यह इस साल इसरो का पहला लॉन्च भी है। इससे पहले, 30 दिसंबर 2024 को इसरो ने 99वें मिशन के तहत एक अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग सफलतापूर्वक पूरा किया था।
मिशन की प्रमुख विशेषताएँ
- रॉकेट: GSLV-F15
- लॉन्चिंग का समय: 31 जनवरी 2025, सुबह 06:23 बजे
- मिशन का उद्देश्य: भारत की स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली NAVIC को और मजबूत बनाना
- सैटेलाइट: NVS-02 (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन – NAVIC)
- कवरेज क्षेत्र: भारतीय उपमहाद्वीप और 1,500 किमी तक का क्षेत्र
- प्रमुख लाभ: सटीक स्थिति निर्धारण, वेग और समय संबंधी सेवाएँ
📸 Relive the moment! Here are stunning visuals from the GSLV-F15/NVS-02 launch.
A proud milestone for India’s space journey! 🌌 #GSLV #NAVIC #ISRO pic.twitter.com/RK4hXuBZNN
— ISRO (@isro) January 29, 2025
NAVIC सिस्टम में दूसरा सैटेलाइट
NVS-02, NAVIC प्रणाली का हिस्सा है, जो भारत की स्वदेशी जीपीएस प्रणाली है। यह इस श्रृंखला का दूसरा सैटेलाइट है। इससे पहले, 29 मई 2023 को NVS-01 लॉन्च किया गया था।
NAVIC की दूसरी पीढ़ी में कुल पाँच सैटेलाइट होंगे:
- NVS-01 (लॉन्च: 2023)
- NVS-02 (लॉन्च: 2025)
- NVS-03 (आगामी)
- NVS-04 (आगामी)
- NVS-05 (आगामी)
NAVIC के लाभ
- स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली जो भारत के सैन्य और नागरिक उपयोगों के लिए सटीक दिशा-निर्देश देती है।
- गूगल मैप्स और अन्य जीपीएस सेवाओं पर निर्भरता कम होगी।
- सेना, नौसेना और वायुसेना को सुरक्षित एवं सटीक नेविगेशन डेटा मिलेगा।
- आपदा प्रबंधन और ट्रांसपोर्टेशन में सहायता करेगा।
इसरो ने अपने 100वें मिशन के साथ इतिहास रच दिया है। NAVIC प्रणाली को और मजबूत करने के लिए यह लॉन्च भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वैज्ञानिकों ने इस सफलता पर इसरो को बधाई दी है।