भारत ने एक बार फिर चीन को स्पष्ट संदेश दिया है कि जब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपने सैनिकों को वापस ले कर वर्ष 2020 वाली स्थिति नहीं बहाल करेगा तब तक दोनो देशों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर गुरुवार को मोदी सरकार के नौ वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों को बताने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा – “भारत चीन के साथ अपने रिश्ते को बेहतर करना चाहता है लेकिन यह तभी होगा जो सीमा पर अमन व शांति स्थापित हो। इसके बगैर द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार नहीं हो सकता।”
चीन की तरफ से सीमा पर स्थिति को बेहतर बताने को भी उन्होंने खारिज किया और कहा कि सैनिकों की ‘आगे की सीमा पर तैनाती’ को सबसे बड़ी समस्या के तौर पर चिन्हित किया। चीन के साथ मौजूदा हालात पर पूछे गये कई सवाल पूछे गये। इनका जबाव देते हुए जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि भारत अपने हितों को बखूबी समझता है और उस पर कोई बाहरी दबाव नहीं बनाया जा सकता। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा स्थिति दोनो देशों के हित में नहीं है और इसका समाधान निकालना होगा.
जयशंकर ने कहा कि चीन ने कुछ वर्ष पहले जो द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया उससे रिश्तों खराब हुए हैं। यह खराब ही रहेंगे। अगर किसी को यह उम्मीद है कि सीमा की स्थिति यूं ही बनी रहे और रिश्तों मे सुधार हो तो यह उम्मीद गलत होगी।
साफ है कि भारतीय विदेश मंत्री चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से हाल के महीनों में दिए जा रहे इस संकेत का जवाब दे रहे थे जिसमें बताया गया है कि सीमा पर शांति है। जयशंकर ने सैनिकों की आगे सीमा पर तैनाती को समस्या के तौर पर चिन्हित किया और कहा कि इसका खतरा यह है कि सैनिकों के बीच गलवन घाटी जैसी झड़पें हो सकती हैं। जून, 2020 में दोनो देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुई थी जिसमें दोनो तरफ से सैनिकों की मौत हुई थी।
उन्होंने कहा कि दोनो पक्षों के बीच लगातार बातचीत चल रही है। जिस दिन पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों ने घुसपैठ की थी उसके अगले दिन ही जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से बात की थी। अभी पिछले हफ्ते ही ब्रिक्स बैठक के दौरान चीन के उप विदेश मंत्री से भी जयशंकर की बात हुई है। अभी भी दोनो देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर और सैन्य कमांडर स्तर पर अलग अलग वार्ताओं का दौर चल रहा है।
पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट (पड़ोसी पहले) की नीति में आतंकवाद को अलग नहीं रख सकता। मोदी सरकार के कार्यकाल में इस नीति के तहत चीन व पाकिस्तान को छोड़ कर अन्य सभी देशों के साथ रिश्तों में काफी सुधार हुआ है। लेकिन पड़ोसी से कई चुनौतियां भी पैदा हुई हैं। पाकिस्तान के साथ रिश्ते पहले से ही खराब है। पहले भी सीमा पार से आतंकवाद होता था लेकिन अब हम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
पाकिस्तान के जेल में बंद भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि, पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय न्यायलय के आदेश का उल्लंघन करते हुए जले में बंद कर रखा है। इस बारे में कूटनीतिक स्तर पर प्रयास किये जाने की संभावना से उन्होंने इनकार नहीं किया लेकिन इसके बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर जयशंकर ने कहा कि इसको लेकर पूरे देश की और भारतीय संसद की जो भावनाएं हैं उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।