दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ को राहत देने के लिए रात में कोर्ट खुली थी। इसी तरह क्या उनके लिए भी हो सकता है? उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू होने और संघ से जुड़ाव पर उन्हें गर्व है।
जेएनयू की पहली महिला कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने यह बात महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा, “वामपंथी विचारधारा अब भी मौजूद है। आप लोग जानते होंगे कि तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार रात को कोर्ट खोल दिया था। क्या ऐसी ही व्यवस्था हम लोगों के लिए भी होगी?”
उन्होंने आगे कहा, “राजनीतिक सत्ता में बने रहने के लिए आपके पास नैरेटिव पावर होना चाहिए। हमें इसकी जरूरत है। जब तक हमारे पास नैरेटिव पावर नहीं होगी, तब तक हम एक दिशाहीन जहाज की तरह हैं।”
वहीं धूलिपुड़ी पंडित ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा, “मैं बचपन में ‘बाल सेविका’ थी। मुझे संस्कार आरएसएस से ही मिले हैं। मुझे यह कहने में गर्व है कि मैं आरएसएस से हूँ। मुझे यह कहने में भी गर्व है कि मैं हिंदू हूँ। यह कहने में मैं बिल्कुल भी नहीं संकोच नहीं करती।” इसके बाद उन्होंने जय श्री राम का नारा लगाते हुए कहा, “गर्व से कहती हूँ मैं हिंदू हूँ।”
उन्होंने आगे कहा कि वामपंथ और आरएसएस अलग-अलग विचारधाराएँ हैं। 2014 के बाद से इन दोनों विचारधाराओं के बीच संघर्ष में एक बड़ा बदलाव आया है। बता दें कि जेएनयू की कुलपति बनने के बाद जब उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय ध्वज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर लगाने का फैसला किया तो कुछ लोगों ने इसका विरोध किया था।
इस पर उन्होंने उन लोगों से कहा था कि वे टैक्स देने वालों के पैसे से जेएनयू में फ्री का खाना खा रहे हैं। इसलिए उन लोगों को राष्ट्रीय ध्वज और पीएम मोदी की तस्वीर के सामने झुकना चाहिए। वह देश के प्रधानमंत्री हैं उनका किसी पार्टी से कोई संबंध नहीं है। अब एक साल से अधिक का समय बीत चुका है। कोई भी विरोध नहीं करता।
बिहार में बनने जा रहे नालंदा विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मैं हाल ही में बख्तियारपुर में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय गई थी। हमें बख्तियारपुर का नाम बदलना चाहिए। यह किस तरह का नाम है?” देश की प्राचीन सभ्यता के बारे में उन्होंने कहा, “हमारी भारतीय सभ्यता श्रेष्ठ, नारीवादी और दुनिया में सबसे महान है। द्रौपदी पहली नारीवादी हैं न कि फ्रांसीसी दार्शनिक सिमोन डी बेउवार।”