वक्फ संशोधन विधेयक-2024 पर संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपा गया। विधेयक पर विपक्ष के विरोध के बावजूद, 16:10 के बहुमत से इसे मंजूरी दी गई और 14 संशोधनों को शामिल किया गया।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्य:
- वक्फ बोर्डों में 4 गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की सिफारिश।
- राज्य सरकार द्वारा जांच अधिकारी की नियुक्ति:
- राज्य सरकार कलेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जांच के लिए नामित कर सकती है।
- यह प्रावधान विवादित संपत्तियों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए जोड़ा गया।
- विशेष धार्मिक समुदायों को छूट:
- दाउदी बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया।
- यह छूट इसलिए दी गई क्योंकि अधिकांश वक्फ निकाय सुन्नी बहुल हैं।
- वक्फ को संपत्ति दान करने के लिए मुस्लिम पहचान का प्रमाण:
- संपत्ति वक्फ को दान करने के लिए व्यक्ति को यह प्रमाणित करना होगा कि वह कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा है।
- वक्फ बोर्डों के अधिकारों में बदलाव:
- विधवाओं और अनाथों के लिए कल्याणकारी उपायों पर फैसला लेने का अधिकार वक्फ बोर्डों को दिया जाएगा, लेकिन यह अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक होगा।
- वक्फ बोर्ड काउंसिल में कम से कम दो मुस्लिमों की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
- विवादित संपत्तियों को दान पर रोक:
- किसी भी प्रकार की विवादित संपत्ति वक्फ को दान नहीं की जा सकेगी।
- वक्फ ट्रिब्यूनल में इस्लामिक स्कॉलर की अनिवार्यता:
- वक्फ ट्रिब्यूनल में तीन सदस्य होंगे, जिनमें से एक इस्लामिक स्कॉलर होगा।
मुस्लिम संगठनों की आपत्तियां:
- मुस्लिम संगठनों ने जिलाधिकारी को जांच अधिकारी बनाए जाने का विरोध किया।
- उनका तर्क है कि जिला कलेक्टर राजस्व अभिलेखों के प्रमुख होते हैं और ऐसे में उनसे निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।
राजनीतिक प्रभाव और संभावित बहस:
- विधेयक में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण को लेकर मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों के विरोध की संभावना है।
- सरकार इसे वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और विवादों के समाधान के लिए आवश्यक सुधार के रूप में पेश कर सकती है।