वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर संसद में महत्वपूर्ण चर्चा चल रही है। सोमवार (3 फरवरी) को इसे लेकर जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) अपनी रिपोर्ट पेश करने जा रही है। इस रिपोर्ट पर विपक्षी सांसदों द्वारा असहमति जताई गई है, खासकर एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी असहमति का नोट पेश किया, जिसे समिति द्वारा कुछ हद तक हटा दिया गया, जिस पर ओवैसी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह आरोप लगाया कि रिपोर्ट से उनके असहमति नोट के कुछ हिस्से हटा दिए गए, जो केवल तथ्यों पर आधारित थे।
विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में सुधार लाना है, जिनमें कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण की समस्याएं हैं। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 डिजिटलीकरण, उन्नत ऑडिट और बेहतर पारदर्शिता जैसे सुधारों के जरिए इन समस्याओं का समाधान करने का प्रस्ताव करता है। इसके अतिरिक्त, यह विधेयक अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए कानूनी तंत्र भी प्रस्तुत करता है।
इस विधेयक पर भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल का कहना है कि रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण खंड जोड़ा गया है, जिसके तहत वक्फ का लाभ गरीबों, महिलाओं और अनाथों को दिया जाएगा। विपक्षी सांसदों की असहमति के बावजूद, जेपीसी की रिपोर्ट को बुधवार, 29 जनवरी को मंजूरी मिल चुकी है, और अब इसे सोमवार को संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।
यह बिल वक्फ के प्रभावी और पारदर्शी संचालन को सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है, लेकिन इसकी रिपोर्ट पर राजनीतिक विरोध और असहमति साफ तौर पर दिखाई दे रही है।