जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। इसे एक सुव्यवस्थित, तथ्यात्मक और प्रभावशाली लेख के रूप में नीचे प्रस्तुत किया गया है:
जस्टिस बी.आर. गवई: भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने
📅 शपथ ग्रहण समारोह
- तिथि: 14 मई 2025, बुधवार
- स्थान: राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली
- शपथ दिलाई: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
- शपथ भाषा: हिंदी
- मुख्य अतिथि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के पूर्व एवं वर्तमान न्यायाधीश
#WATCH | Delhi: President Droupadi Murmu administers oath of office to Justice BR Gavai as the Chief Justice of India (CJI).
(Video Source: President of India/social media) pic.twitter.com/3J9xMbz3kw
— ANI (@ANI) May 14, 2025
👏 व्यक्तिगत भावनाएं
- शपथ के तुरंत बाद जस्टिस गवई ने अपनी मां कमलताई गवई के चरण छूकर आशीर्वाद लिया, जिससे उनके पारिवारिक मूल्यों और विनम्रता की झलक मिलती है।
#WATCH | Delhi: CJI BR Gavai greets President Droupadi Murmu, Prime Minister Narendra Modi, Vice President Jagdeep Dhankhar, former President Ram Nath Kovind and other dignitaries at the Rashtrapati Bhavan. He took oath as the 52nd Chief Justice of India.
(Video Source:… pic.twitter.com/yMUL0Sw3LH
— ANI (@ANI) May 14, 2025
न्यायिक पृष्ठभूमि और करियर
विवरण | जानकारी |
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जन्म | 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र |
वकालत की शुरुआत | 16 मार्च 1985 |
प्रारंभिक कार्य | नागपुर और अमरावती नगर निगम, अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील |
सरकारी नियुक्तियाँ | सहायक सरकारी वकील (1992–93), अतिरिक्त सरकारी अभियोजक, सरकारी वकील (2000) |
न्यायिक पदोन्नति | 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश |
स्थायी न्यायाधीश | 12 नवंबर 2005 से |
सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति | 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने |
मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल
- कार्यकाल की अवधि: 14 मई 2025 से 23 नवंबर 2025 तक (करीब 6 महीने)
- सेवानिवृत्ति की तिथि: 23 नवंबर 2025 (65 वर्ष की आयु पूरी होने पर)
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों में भागीदारी
- अनुच्छेद 370 की समाप्ति (दिसंबर 2023) – 5 जजों की संविधान पीठ में शामिल, जिसने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को वैध ठहराया।
- चुनावी बॉन्ड योजना रद्द – सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का हिस्सा रहे, जिसने इस योजना को असंवैधानिक करार दिया।
- नोटबंदी वैधता पर फैसला – 4:1 के बहुमत से 500 और 1000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण को सही ठहराने वाली पीठ में शामिल।
- आरक्षण में उप-वर्गीकरण – अनुसूचित जातियों में उप-कोटियों को मान्यता देने वाले फैसले का हिस्सा।
- बुलडोजर जस्टिस से जुड़े निर्णय – अवैध निर्माण पर सख्त रुख।
- दिल्ली शराब नीति मामले में के. कविता को जमानत – न्यायिक उदारता और वैधानिक विवेक का परिचय।
ऐतिहासिक पहचान
- भारत के पहले बौद्ध समुदाय से आने वाले CJI
- भारत के दूसरे दलित समुदाय से मुख्य न्यायाधीश (पहले: जस्टिस के.जी. बालकृष्णन, 2007-2010)
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना भारतीय न्यायपालिका में सामाजिक न्याय, विविधता और समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
उनका संक्षिप्त कार्यकाल होने के बावजूद, वे महत्वपूर्ण संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में न्यायिक विवेक, संतुलन और सामाजिक समरसता का उदाहरण पेश कर सकते हैं।