जस्टिस एस. पर्वत राव गारु के निधन के साथ भारत ने एक ऐसे महान व्यक्तित्व को खो दिया है, जिन्होंने अपने जीवन में उच्च नैतिक मूल्यों, न्यायप्रियता, और सामाजिक सेवा का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका 90 वर्षों का जीवन न केवल न्यायिक क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के लिए बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ उनके योगदान और व्यक्तिगत मूल्यों के लिए भी याद किया जाएगा।
जस्टिस एस. पर्वत राव का जीवन और करियर:
- जन्म और शिक्षा:
1935 में जन्मे पर्वत राव बचपन से ही मेधावी छात्र थे। उन्होंने विजयवाड़ा में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और मद्रास लोयोला कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हुए उन्होंने भौतिकी, राजनीति और अर्थशास्त्र में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। भारत लौटकर उन्होंने मद्रास से लॉ की पढ़ाई पूरी की। - न्यायिक करियर:
मार्च 1990 में जस्टिस पर्वत राव आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज बने और 1997 में सेवानिवृत्त हुए। अपने न्यायिक कार्यकाल में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए।- उन्होंने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि Eamcet परीक्षार्थियों को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का अधिकार है, जो छात्र समुदाय के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ।
- उनके फैसले न्यायिक निष्पक्षता और मानवीय मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
- RSS और सामाजिक योगदान:
जस्टिस राव आरएसएस के पूर्व क्षेत्र संघचालक रहे। उन्होंने अपने जीवन में आरएसएस के सिद्धांतों और आदर्शों को अपनाते हुए समाज को नैतिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति प्रेरित किया।
श्रद्धांजलि और योगदान:
उनके निधन पर पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी श्रद्धांजलि दी। वेंकैया नायडू ने उन्हें एक “अनुकरणीय व्यक्तित्व” और “सदैव न्याय और सत्य के प्रति प्रतिबद्ध” व्यक्ति के रूप में याद किया।
दक्षिण मध्य क्षेत्र के पूर्व क्षेत्र संघचालक श्री पर्वत राव जी एक समर्पित और अत्यंत प्रबुद्ध कार्यकर्ता थे जो सबके मार्गदर्शक रहे। उनकी जीवन यात्रा का अंत हो गया। वे सदैव प्रेरणादायी व्यक्तित्व के नाते याद रहेंगे। उनकी स्मृति पर मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और उनके परिवार के… pic.twitter.com/lkowxQaP1s
— RSS (@RSSorg) December 12, 2024
केंद्र सरकार ने नहीं बनने दिया था जज
जस्टिस पर्वत राव एक उच्च कोटि के बुद्धिजीवी थे. उन्होंने वकालत के इतर मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे विविध विषयों का भी अध्ययन किया था. उन्होंने कॉर्पोरेट लॉ में विशेषज्ञता हासिल की.
हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री एनटी रामाराव की आंध्र प्रदेश सरकार ने पर्वत राव को जस्टिस के रूप में शॉर्टलिस्ट किया और उनके नाम सिफारिश भी की, लेकिन तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री शिवशंकर ने जोर देकर कहा कि पर्वत राव को पहले आरएसएस से खुद को अलग करने का पत्र पेश करना होगा, जिसमें वे एक जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इस पर पर्वत राव ने यह कहते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि आरएसएस प्रतिबंधित संगठन नहीं है.
बाद में वह अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान जस्टिस बने. हाई कोर्ट के जस्टिस के रूप में उनकी रिटायरमेंट के बाद, उन्हें राज्य उपभोक्ता फोरम का अध्यक्ष बनाया गया. वह करीब 2 साल तक पद पर रहे. फिर उन्होंने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने जिला स्तर पर सुविधाएं प्रदान करने को लेकर उनकी सिफारिशों को लागू नहीं किया. बाद में उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा से जुड़ी गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया.
जस्टिस एस. पर्वत राव गारु का जीवन न केवल न्यायिक सेवा और नैतिकता का प्रतीक था, बल्कि उनके दानशील और समाजसेवा से परिपूर्ण कार्य उन्हें एक सच्चे कर्मयोगी के रूप में स्थापित करते हैं। उनके द्वारा समाज के लिए किए गए योगदान एक प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी दानशीलता का स्तर अभूतपूर्व है।
दान और समाजसेवा में योगदान:
- जमीन का दान:
- जस्टिस राव ने अपनी विरासत में मिली 30 एकड़ जमीन में से 27 एकड़ जमीन धर्मार्थ कार्यों के लिए दान कर दी।
- उन्होंने इससे पहले अपने पैतृक गांव उंगुटुरु में भी 45 साल पहले अपनी जमीन दान की थी, जिससे समाज को लाभ हुआ।
- शिक्षा के लिए समर्पण:
- उन्होंने डॉ. सुंकवल्ली विज्ञान भारती नामक स्कूल को 10 लाख रुपये दान किए।
- लगभग 10 साल पहले उन्होंने एक नए स्कूल भवन के निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये जुटाए, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी मदद मिली।
- गौ सेवा और पर्यावरण संरक्षण:
- गौ सेवा को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने गौतमी सेवा समिति और गौ सेवा समिति जैसे संगठनों को समर्थन दिया।
- अपने गांव के पास हाईवे के किनारे बची हुई 280 वर्ग गज जमीन पर जैविक गौ उत्पादों के लिए एक केंद्र स्थापित किया। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और जैविक कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में सराहनीय है।
- सादगी और नैतिकता का जीवन:
जस्टिस राव का जीवन सादगी और उच्च नैतिक मूल्यों का उदाहरण था। जब वह एक बार अपने गृह नगर की यात्रा पर थे, तो उन्होंने नाश्ते के लिए भुगतान कर यह दर्शाया कि सेवा और कर्तव्य में पारदर्शिता और ईमानदारी का पालन कितना महत्वपूर्ण है।
प्रेरणा के स्रोत:
जस्टिस राव का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप किसी भी पद पर हों, समाज के प्रति आपका दायित्व सबसे ऊपर होना चाहिए। उनके दान, शिक्षा के प्रति समर्पण और गौ सेवा के कार्य समाज को प्रेरित करते हैं कि सामर्थ्यवान व्यक्ति समाज की भलाई के लिए अपने संसाधनों का उपयोग कर सकता है।
RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय का शोक संदेश
उनकी शादी श्रीमती लक्ष्मीकांतम गारू से हुई, जिनसे उनकी 3 बेटियां हैं. तीनों उच्च शिक्षित हैं. उन्होंने अपनी पत्नी को उच्चस्तरीय शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया, फिर उन्होंने अपनी मास्टर्स और कानून की डिग्री भी पूरी की.
जस्टिस पर्वत राव के निधन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अपने शोक संदेश में कहा, “पर्वत राव जी एक समर्पित और अत्यंत प्रबुद्ध कार्यकर्ता थे जो सबके मार्गदर्शक भी रहे. अब उनकी जीवन यात्रा का अंत हो गया. वह सदैव प्रेरणादायी व्यक्तित्व के नाते याद रखे जाएंगे. मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनके परिवार के सभी लोगों को मैं अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं. ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें.”