सोशल मीडिया पर “ट्रैवल विद-जो” नाम से चैनल चलाने वाली ज्योति मल्होत्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने जो खुलासा किया है, वह भारत की आंतरिक सुरक्षा और डिजिटल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ज्योति पाकिस्तान के इशारों पर काम कर रही थी, और उसने दो बार पाकिस्तान की यात्रा भी की थी।
पाक हाई कमीशन से संपर्क, ISI से मुलाकात
ज्योति ने पूछताछ में कबूला है कि वह पाकिस्तान हाई कमीशन दिल्ली गई थी, जहां उसकी मुलाकात एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई। दानिश का मोबाइल नम्बर लेकर वह लगातार संपर्क में रही और पाकिस्तान जाकर अली हसन, शाकिर और राणा शहबाज से भी मिली, जिनका संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से है।
कूटनामों और गुप्त संचार के जरिए संपर्क
ज्योति ने शाकिर का नम्बर अपने फोन में ‘जट रधांवाश’ के नाम से सेव कर रखा था ताकि किसी को शक न हो। व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स का उपयोग लगातार संवाद के लिए किया जा रहा था। यही डिजिटल रणनीति इसे और खतरनाक बनाती है।
फॉरेंसिक जांच में टूटा मोबाइल बना अहम सुराग
जांच टीम को ज्योति का एक टूटा हुआ मोबाइल फोन मिला है, जिसे फॉरेंसिक टीम को भेजा गया है। उसमें से डिलीट डेटा की रिकवरी की जा रही है। यह फोन पूरे नेटवर्क को बेनकाब कर सकता है।
जांच एजेंसियों को दो प्रमुख मकसद नजर आ रहे हैं:
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सोशल मीडिया नेटवर्क के ज़रिए अफसरों तक पहुंच बनाना।
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सरकारी नीतियों और सेना के खिलाफ डिजिटल अभियान चलवाकर भारत में अस्थिरता पैदा करना।
जांच के अहम सवाल:
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क्या ज्योति की पाकिस्तान यात्रा वास्तव में आध्यात्मिक थी या योजनाबद्ध जासूसी मिशन?
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एहसान डार से संपर्क किसने और कैसे करवाया?
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क्या उसे फंडिंग मिली? बैंक या क्रिप्टो लेनदेन की जांच चल रही है?
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क्या कश्मीर में हुए हालिया हमलों के बाद उसका वीडियो हैंडलर की स्क्रिप्ट थी?
पंजाब-हरियाणा-UP में पाक नेटवर्क का खतरा
पिछले 15 दिनों में 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि उत्तरी भारत में पाकिस्तान समर्थित जासूसी रैकेट सक्रिय है।
हरियाणा सरकार सतर्क, यूट्यूब चैनलों पर निगरानी
हरियाणा की अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सुमिता मिश्रा के अनुसार, राज्य पुलिस और सीआईडी मिलकर सोशल मीडिया निगरानी सेल के तहत संदिग्ध यूट्यूब चैनलों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। बार-बार नाम बदलकर उभरने वाले चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
ज्योति मल्होत्रा का केस केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह एक डिजिटल युद्ध का ट्रिगर प्वाइंट है। यह भारत के लिए एक चेतावनी है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए सूचनात्मक युद्ध और साइकोलॉजिकल ऑपरेशंस चलाए जा रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए एक कड़ी साइबर इंटेलिजेंस नीति की आवश्यकता है।