मुख्य अतिथि पूर्व सांसद सह राष्ट्रीय अध्यक्ष आदिवासी भारतीय अखिल विद्यार्थी परिषद सोमभाई ददामोर, पूर्व सांसद डॉ रामेश्वर उरांव, पूर्व निदेशक शंकर लाल बाड़ार्त, एकता परिषद गुजरात के अमर चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष पश्चिम बंगाल बिरसा तिर्की, बैरागी उरांव, नारायण उरांव केन्द्रीय सरना समिति रांची, नगर परिषद अध्यक्ष दीपनारायण उरांव, पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वधर्म प्रार्थना के उपरांत कार्तिक उरांव व सुमति उरांव की समाधि स्थल पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण व पुष्पार्चन कर किया गया। दामोर ने कहा कि कार्तिक उरांव सिर्फ आदिवासी ही नहीं अपितु संपूर्ण समाज के मार्गदर्शक थे।
उन्हें उनकी कर्त्तव्य निष्ठा की बदौलत पंखराज की उपाधि से नवाजा गया। साथ ही उन्हें प्यार से उन्हें काला हीरा का नाम दिया गया। उन्होंने कार्तिक उरांव को महान पथप्रदर्शक बताते हुए उनके जीवनी एवं आर्दश को अपनाने पर बल दिया। कहा कि उनके द्वारा समाज एवं देश को दिये गए अमूल्य योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। वे दुनिया के सामने गुदड़ी की लाल की तरह चकमे थे।
आजादी की लड़ाई के बाद आदिवासी अपनी आवाज ढूंढ रहे थे। कार्तिक उरांव उनकी आवाज बनें। उन्होंने राजनीतिक तौर पर कहा कि अगर कार्तिक बाबा को किसी धर्म का समर्थक व किसी पक्ष का विरोधी समझेंगे, तो यह कभी न्यायोचित नहीं होगा। सनातन की वकालत करने वाले सोचें, आदिवासी को आदिवासी ही रहने दें। इस दौरान गुमला के लेखक रायनंद साहू द्वारा कार्तिक उरांव के जीवनी पर लिखा गया किताब का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। इस मौके पर जिप अध्यक्ष किरण बाड़ा, जिप सदस्य चैतु उरांव, मुखिया दिनेश उरांव, बुधु टोप्पो, पूर्व डीडीसी पुनई उरांव, युवा अध्यक्ष राजनील तिग्गा, पार्षद सीता देवी, रामेश्वरी उरांव, अरुण गुप्ता, आशिक अंसारी, चुमनू उरांव, बैबूल अंसारी, दीपक साहु, सदाब, शाहजहां अंसारी व दीपक कुमार समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
इन्होंने भी रखे अपने विचार : कार्यक्रम को पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, पूर्व एमएलए बैरागी उरांव, नगर परिषद अध्यक्ष दीपनारायण उरांव ने भी संबोधित किया। विभिन्न खोड़ा समिति के सदस्य ढोल, मांदर व नगाड़ों की थाप पर थिरक रहे थे। वहीं आसपास के गांव से पहुंचे ग्रामीण कार्यक्रम स्थल के किनारे लगे खिलौना, ईख आदि की खरीदारी करते देखे गए।
गांवों में शिक्षा की हालत पहले से भी बदतर हो गई है : डॉ. रामेश्वर
पूर्व सांसद डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि कार्तिक उरांव की सोच थी कि बिहार से झारखंड को अलग किया जाय। विकास का 75 पैसा बिहार के हिस्से में रखकर 25 पैसा झारखंड को दिया जाता था। आज अलग राज्य के निर्माण के बाद भी यह स्थिति यथावत है। केन्द्र व राज्य सरकार आदिवासियों को आरक्षण नहीं दे पा रही है। फिर सरकार स्वर्गीय कार्तिक उरांव के सपने को साकार करने की बात करती है। शिक्षा की स्थिति भी जस की तस है। सरकार कहती है शिक्षा की व्यवस्था सुधरी है, परंतु गांव जाकर देखें शिक्षा की स्थिति पहले से भी बदतर हो गई है। ऐसे में कार्तिक उरांव के सपने कैसे पूरी होंगे। कार्तिक उरांव ने झारखंड में अच्छे सपने देखे थे। जिसमें सभी लोग शिक्षित रहेंगे। सभी के हाथों में रोजगार होगा। परंतु सरकार ने सपनों पर पानी फेर दिया है। उन्होंने जनता से जागने की अपील किया है।