आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा केंद्र को उनके नामों की सिफारिश की गई थी।
न्यायमूर्ति मिश्रा और न्यायमूर्ति विश्वनाथन की नियुक्ति की जानकारी गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय की ओर से जारी की गई थी। वहीं, इनकी नियुक्तियों की घोषणा नए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने ट्विटर हैंडल पर की।
केवी विश्वनाथन का जन्म 26 मई, 1966 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था। इनका फैमिली बैकग्राउंड लॉ से जुड़ा हुआ था, जिसके कारण बहुत ही कम उम्र में इन्हें कानून से जुड़े मामलों में रुचि रही। इसके बाद इन्होंने 1988 में कोयंबटूर के लॉ कॉलेज से पांच साल का ग्रेजुएशन किया। अपने कोर्स के दौरान ही विश्वनाथन ने कोयंबटूर में एक आपराधिक मामलों के वकील केए रामचंद्रन के साथ काम किया।
इसके बाद, वह नई दिल्ली चले गए और वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन के चैंबर में शामिल हो गए। सीएस वैद्यनाथन बाद में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बनाए गए। 1990 में, विश्वनाथन, वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल की टीम के सदस्य बने, जिन्हें बाद में भारत के अटॉर्नी जनरल का कार्यभार सौंपा गया था। इनके साथ विश्वनाथन ने करीब 5 साल तक काम किया।
अप्रैल 2009 में, केवी विश्वनाथन को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। इसके बाद साल 2013 में, UPA-II सरकार ने इन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया नियुक्त किया।
कई बड़े मुद्दों में इनके पैरवी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें एमिकस क्यूरी (जिनसे कई मामलों में कोर्ट सलाह लेता है) नियुक्त किया गया। फिलहाल, विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट केस (SCC) के संपादक- मंडल के सदस्य भी हैं। इसके अलावा, विश्वनाथन बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य भी हैं। वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NLSA) के मानद सचिव भी हैं।
केवी विश्वनाथन का कार्यकाल 25 मई, 2031 तक रहेगा। विश्वनाथन के कार्यकाल के अंतिम पड़ाव तक यदि केन्द्र अनुमति देता है, तो अगस्त 2030 में नौ महीने से अधिक की अवधि के लिए विश्वनाथन भारत के 58वें मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। 11 अगस्त, 2030 को न्यायमूर्ति जमशेद बुर्जोर परदीवाला की सेवानिवृत्ति पर, विश्वनाथन भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाल सकते हैं।
विश्वनाथन उन वकीलों की सूची में शामिल हो गए हैं, जो बार से सीधे शीर्ष अदालत की बेंच में पदोन्नत होने के बाद न्यायाधीश बने हैं। अब तक बार से सीधे नियुक्त किए गए अन्य न्यायाधीशों में जस्टिस एसएम सीकरी, एससी रॉय, कुलदीप सिंह, संतोष हेगड़े, रोहिंटन नरीमन, यूयू ललित, एल नागेश्वर राव, इंदु मल्होत्रा और पीएस नरसिम्हा का नाम शामिल है।
इसके साथ ही, यह जस्टिस एसएम सीकरी, यूयू ललित और पीएस नरसिम्हा के बाद भारत के चौथे मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बन सकते हैं, जिन्हें बार से सीधा मुख्य न्यायाधीश बनाया जाएगा। पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विश्वनाथन, पिछले 30 सालों से अधिक समय से इस पेशे में हैं और कई हाई प्रोफाइल मामलों में इनकी मौजूदगी रही है। विश्वनाथन संवैधानिक कानून, आपराधिक कानून, वाणिज्यिक कानून, दिवाला कानून और मध्यस्थता सहित विविध विषयों पर कई मामलों में पैरवी कर चुके हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में, उन्होंने आधार एक्ट की वैधता, समलैंगिक विवाह, व्हाट्सएप गोपनीयता नीति के मुद्दे जैसे महत्वपूर्ण संविधान पीठ के मामलों में पैरवी की है।