भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की सेहत को लेकर यह खबर उनके प्रशंसकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है। 96 वर्षीय आडवाणी जी, जो भारतीय राजनीति के प्रमुख स्तंभ रहे हैं, को हाल ही में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है, और उनकी देखभाल न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर विनीत सूरी कर रहे हैं।
आडवाणी जी को पहले भी उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 27 जून 2024 को एम्स से डिस्चार्ज किए जाने के बाद, उन्हें जुलाई में भी अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके स्वास्थ्य में बार-बार आने वाले उतार-चढ़ाव उनके बढ़ती उम्र के कारण हो रहे हैं, और उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में रखा जा रहा है।
लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक हैं और उन्होंने पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी सेहत को लेकर देशभर में लोग प्रार्थना कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।
लालकृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने न केवल भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक संगठनात्मक ढांचा प्रदान किया, बल्कि उसे राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत पहचान दिलाई। 1980 में BJP की स्थापना के बाद, आडवाणी जी ने संगठन के विकास में अहम भूमिका निभाई और पार्टी को विचारधारा आधारित राजनीति की दिशा में आगे बढ़ाया।
96 वर्ष की आयु में सक्रिय सदस्य के रूप में वापसी
22 अक्टूबर 2024 को पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं—विनोद तावड़े, अरुण सिंह, और शोभा कंरदलाजे—ने आडवाणी जी को BJP का सक्रिय सदस्य बनाया। यह पार्टी और उनके अनुयायियों के लिए गर्व का क्षण था। यह कदम न केवल उनके लंबे योगदान का सम्मान करता है, बल्कि उनके साथ संगठन की भावनात्मक और वैचारिक जुड़ाव को भी दर्शाता है।
भारत रत्न से सम्मानित
2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आडवाणी जी को उनके आवास पर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया। इससे पहले, उन्हें 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। ये पुरस्कार उनके अद्वितीय योगदान, विशेषकर भारतीय राजनीति और BJP को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने में उनकी भूमिका के लिए दिए गए।
बीजेपी का शिल्पकार
आडवाणी जी को पार्टी का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने BJP को एक सशक्त राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित किया। उनकी रथ यात्रा और विचारधारा आधारित राजनीति ने पार्टी के विस्तार और मजबूती में क्रांतिकारी भूमिका निभाई। पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर उभरना और उसकी पहचान को स्पष्ट करना, उनकी रणनीतिक सोच और संगठनात्मक कौशल का परिणाम था।
संसदीय करियर और नेतृत्व
लालकृष्ण आडवाणी ने तीन दशकों तक संसद में देश का प्रतिनिधित्व किया। उनके नेतृत्व में BJP ने अभूतपूर्व राजनीतिक ऊंचाइयों को छुआ। उप-प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल न केवल उनके नेतृत्व कौशल को दर्शाता है, बल्कि उनकी प्रशासनिक क्षमता और दूरदृष्टि का भी प्रमाण है।
आडवाणी जी के व्यक्तित्व को लेकर उनके प्रशंसकों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वे लौह पुरुष, पार्टी के कर्णधार, और सच्चे विचारक जैसे विशेषणों के सही हकदार हैं। उनकी सक्रियता और सम्मान ने यह साबित किया है कि उनका योगदान आज भी BJP के विचार और संगठन के लिए प्रेरणा स्रोत है।
वाजपेयी की सरकार में रहे उप प्रधानमंत्री
आडवाणी साल 2002 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद आडवाणी ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना की थी। दोनों ने मिलकर पार्टी की विचारधारा को आकार देने और पूरे भारत में इसके प्रभाव को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
1990 में रथ यात्रा का किया नेतृत्व
आडवाणी के राजनीतिक जीवन में मील का पत्थर राम जन्मभूमि आंदोलन का उनका नेतृत्व था। अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की वकालत करते हुए उनकी 1990 की रथ यात्रा ने हिंदू राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारा और उन्हें एक प्रमुख जन नेता के रूप में स्थापित किया।