मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में महाकुंभ 2025 और राज्य के बजट को लेकर जो बातें रखी हैं, वे प्रदेश की आस्था, विकास और आर्थिक वृद्धि को जोड़ने का एक बड़ा संदेश देती हैं। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन को राज्य की क्षमता और देश की आस्था से जोड़ते हुए विपक्ष के नकारात्मक प्रचार को भी आड़े हाथों लिया।
मुख्य बिंदु:
- महाकुंभ 2025 की सफलता
- महाकुंभ ने आस्था को आर्थिक वृद्धि से जोड़ा, जिससे अयोध्या और काशी को भी लाभ मिला।
- विपक्ष के नकारात्मक प्रचार के बावजूद जनता ने सरकार के प्रयासों पर विश्वास जताया।
- शिवपाल यादव के महाकुंभ न जाने पर तंज कसा – “पुण्य पाने से चूक गए।”
- भारत की क्षमता को वैश्विक मंच पर दिखाने में महाकुंभ सफल रहा।
- बजट 2025-26 पर जोर
- इस साल का बजट ₹8.08 लाख करोड़ का है, जो राज्य के चहुंमुखी विकास को गति देगा।
- गरीबों, किसानों और युवाओं के हितों को प्राथमिकता दी गई है।
- पांच साल में पूरे किए जा सकने वाले दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- लोककल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचे पर विशेष जोर।
- विपक्ष पर प्रहार
- विपक्ष ने गलत सूचनाएँ फैलाने की कोशिश की, लेकिन जनता ने उन पर भरोसा नहीं किया।
- “जल्द ही जनता विपक्ष की बातें सुनना बंद कर देगी।”
- संभल में हो रहे विकास कार्यों को भी आस्था से जोड़ा।
- मीडिया की भूमिका और सराहना
- इंडिया टीवी के एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा द्वारा महाकुंभ की तारीफ का जिक्र किया।
- कुंभ की सफलता को सरकार की इच्छाशक्ति का परिणाम बताया।
योगी आदित्यनाथ का यह बयान साफ दिखाता है कि उत्तर प्रदेश में महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राज्य की आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति को बढ़ाने का भी एक माध्यम बन गया है। बजट में विकास, गरीबों, किसानों और युवाओं को प्राथमिकता देना यह दर्शाता है कि सरकार संतुलित और समग्र विकास की नीति अपना रही है।