मेजर जनरल एम.पी.एस. गिल, विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त अधिकारी, ने उत्तराखंड सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। इस अवसर से जुड़े प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
प्रमुख तथ्य:
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नई नियुक्ति: मेजर जनरल एम.पी.एस. गिल ने मेजर जनरल आर. प्रेम राज का स्थान लिया।
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स्थान: उत्तराखंड सब एरिया (मुख्यालय – प्रायः देहरादून)
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श्रद्धांजलि: शौर्य स्थल जाकर वीर शहीदों को पुष्पचक्र अर्पित कर दी श्रद्धांजलि
शैक्षिक व सैन्य पृष्ठभूमि:
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पूर्व छात्र:
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RIMC (राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज), देहरादून
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NDA (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी), खड़कवासला
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IMA (भारतीय सैन्य अकादमी), देहरादून
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कमीशन: 16 दिसंबर 1989 — 18 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियन
प्रमुख सैन्य अनुभव:
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मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियन और बख्तरबंद ब्रिगेड का नेतृत्व (पश्चिमी सीमा पर)
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प्रशिक्षण एवं संचालन पद:
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निदेशक, सैन्य संचालन निदेशालय (दिल्ली)
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ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ, HQ ARTRAC
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चीफ ऑफ स्टाफ, स्ट्राइक कोर
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एडिशनल डायरेक्टर जनरल (विजिलेंस), थलसेना प्रमुख सचिवालय
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Perception Management Directorate, मुख्यालय इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ – स्थापना में भूमिका
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प्रशिक्षण एवं अध्ययन:
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डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन
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हायर कमांड कोर्स – आर्मी वॉर कॉलेज, महू
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नेशनल डिफेंस कॉलेज, बांग्लादेश (अंतरराष्ट्रीय अध्ययन)
सम्मान एवं पुरस्कार:
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विशिष्ट सेवा मेडल (VSM)
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उप सेनाध्यक्ष प्रशस्ति पत्र
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GOC-in-C (ARTRAC) प्रशस्ति पत्र
भविष्य की प्राथमिकताएं:
“मेरा ध्यान आधुनिक तकनीकों के समावेश, आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में सहयोग, पूर्व सैनिकों और वीर नारियों के कल्याण तथा राज्य प्रशासन के साथ समन्वय को और मजबूत करने पर रहेगा।”
— मेजर जनरल एम.पी.एस. गिल
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण:
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उत्तराखंड एक रणनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य है (चीन व नेपाल सीमा के समीप होने के कारण)
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राज्य में बड़ी संख्या में सेना से जुड़े परिवार, पूर्व सैनिक, और वीर नारियाँ रहती हैं
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ऐसे में मेजर जनरल गिल जैसे अनुभवी अधिकारी का वहां GOC बनना सैनिक कल्याण और असैन्य-सैन्य समन्वय के लिए सकारात्मक कदम है
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उनके पास तकनीकी प्रशिक्षण, प्रशासनिक दक्षता, और सैन्य नेतृत्व का अनूठा संयोजन है, जो रक्षा नीति और क्षेत्रीय समन्वय दोनों में उपयोगी रहेगा