कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने बुधवार को बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव ‘सांप्रदायिक’ थे. अय्यर ने राव को देश का ‘भाजपा का पहला प्रधानमंत्री’ बताया. अपनी आत्मकथा ‘मेमोयर्स ऑफ ए मावेरिक- द फर्स्ट फिफ्टी इयर्स (1941-1991)’ में पूर्व राजनयिक अय्यर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत बहाल करने की वकालत करते हुए कहा कि जब उस देश की बात आती है तो हमारे पास उनके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने का साहस होता है लेकिन टेबल पर बैठकर किसी पाकिस्तानी से बात करने की हिम्मत नहीं होती है.
जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में अय्यर के दून स्कूल से लेकर सेंट स्टीफंस कॉलेज और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तक तथा एक शीर्ष राजनयिक से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी सहयोगी तक के सफर को कलमबद्ध किया गया है. अय्यर 1985-1989 तक राजीव गांधी के पीएमओ का हिस्सा थे.
राजीव गांधी ने की थी भूल
अपनी पुस्तक के औपचारिक विमोचन के अवसर पर अय्यर ने कई मुद्दों पर बात की. उन्होंने 1978 में कराची में महावाणिज्य दूत के रूप में अपने कार्यकाल से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ अपने संबंधों से लेकर बात की. इस दौरान कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख और राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी दर्शकों के बीच मौजूद रहीं. सवाल-जवाब सत्र के दौरान जब अय्यर से बाबरी मस्जिद मुद्दे से निपटने में राजीव गांधी की आलोचना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि राम मंदिर का शिलान्यास गलत था. मुझे लगता है कि राजीव गांधी ने आर के धवन को पीएमओ में लाकर भयानक गलती कर दी थी, जिन्होंने तुरंत उस कार्यालय का राजनीतिकरण कर दिया. वह राजनीति में आए बिना सही सलाह दे रहे थे.’
सांप्रदायिक थे नरसिम्हा राव
अय्यर ने कहा कि उन्हें पता चला कि पी वी नरसिम्हा राव “कितने सांप्रदायिक और कितने हिंदूवादी” थे. अय्यर ने राव के साथ उस समय हुई बातचीत का जिक्र किया जब वह ‘राम-रहीम’ यात्रा निकाल रहे थे. अय्यर ने बताया ‘नरसिम्हा राव ने मुझसे कहा कि उन्हें मेरी यात्रा पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह धर्मनिरपेक्षता की मेरी परिभाषा से असहमत थे. मैंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की मेरी परिभाषा में क्या गलत है. उन्होंने कहा कि मणि तुम यह नहीं समझते कि यह एक हिंदू देश है. मैं अपनी कुर्सी पर बैठा हूं और कहा कि भाजपा बिल्कुल यही कहती है.’
उन्होंने कहा कि भाजपा के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नहीं थे बल्कि भाजपा के पहले प्रधानमंत्री राव थे. राव ने कांग्रेस सरकार का नेतृत्व किया और 1991 से 1996 तक भारत के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. राजनयिक से नेता बने अय्यर ने यह भी बताया कि जब अचानक घोषणा की गई कि राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि एक कैसे इंडियन एयरलाइंस का एक पायलट देश को चला सकता है.
मैं नहीं था राजीव का विश्वासपात्र
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने देखा कि वह इस देश को कैसे चलाते हैं, तभी मैं उनकी प्रशंसा करने लगा.’अय्यर ने बताया कि वह अगले संस्करणों में राजीव गांधी से जुड़े बोफोर्स और शाह बानो मामले जैसे विवादों का जिक्र करेंगे. अय्यर ने कहा, ‘मेरी समस्या यह थी कि मैं राजीव गांधी का विश्वासपात्र नहीं था. वास्तव में, मुझे लगता है कि वह सोचते थे कि मैं राजनीतिक रूप से अनुभवहीन हूं. उन्होंने कभी मुझसे सलाह नहीं ली और किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर मेरी सलाह नहीं ली.’
अय्यर ने कहा, राजीव गांधी के प्रधानमंत्री नहीं बने रहने का एकमात्र कारण यह था कि वह बहुत अच्छे व्यक्ति थे. अय्यर ने कहा, ‘वह व्यक्ति सबसे ईमानदार, स्पष्टवादी और सिद्धांतवादी थे. उनमें (राजीव गांधी) वीपी सिंह जैसी कुटिलता या आरिफ मोहम्मद खान जैसी चालाकी नहीं थी.’ अय्यर ने कहा, “हम एक दिन रात्रिभोज से वापस आ रहे थे जब मेरी पत्नी सुनीत ने मुझसे एक सवाल पूछा जो मेरे कराची प्रवास के दौरान मेरे दिमाग में गूंजता रहा – ‘यह एक दुश्मन देश है, है ना?’ अय्यर ने कहा कि उन्होंने खुद से भी यह सवाल पूछा था वहां तीन साल वहां रहे.
पाकिस्तान के साथ बातचीत की वकालत
अय्यर ने कहा,’क्या पाकिस्तान एक दुश्मन देश है? इस पर मेरा संक्षिप्त उत्तर यह है कि पाकिस्तानी दुश्मन लोग नहीं हैं. पाकिस्तान की सरकार बहुत सी ऐसी चीजें करती है जो उन्हें हमारा दुश्मन बनाती है. लेकिन वे हमारे प्रति कितनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और कितनी दूर हैं वे हमें उकसा रहे हैं? …जब पाकिस्तान की बात आती है, तो हमारे पास उनके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने की हिम्मत है, लेकिन हमारे पास मेज पर बैठकर किसी पाकिस्तानी से बात करने की हिम्मत नहीं है.’
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिखाया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करके वे कश्मीर पर चार सूत्रीय समझौते पर पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘जब तक हम पाकिस्तान के साथ मुद्दों को सुलझाने में सक्षम नहीं होते हैं, मुझे डर है कि पाकिस्तान हमारी गर्दन का बोझ बना रहेगा और हम कभी भी दुनिया के ‘विश्वगुरु’ नहीं बन पाएंगे.’
सोनिया गांधी की वजह से पार्टी मे बचा रहा
अय्यर ने राजीव गांधी की मृत्यु के बाद राजनीति में कदम रखने के लिए समर्थन के लिए सोनिया गांधी की भी सराहना की. ‘राजीव के जाने के बाद कई लोगों ने सोचा कि चलो इस आदमी को खत्म कर दें. मैं केवल उनकी (सोनिया गांधी) वजह से पार्टी में बचा रहा.’ अय्यर ने कहा कि उन्हें सोनिया गांधी ने कैबिनेट मंत्री बनाया था और वह जानते थे कि प्रधानमंत्री सोच रहे थे कि क्या उन्हें राज्य मंत्री बनाया जाना चाहिए.