भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव की स्थिति तेजी से अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बनती जा रही है। पाकिस्तान द्वारा सीमा पर सिविलियनों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिशें और भारत की ओर से सख्त लेकिन संतुलित जवाब के बीच अब कूटनीतिक प्रयास तेज हो गए हैं।
सीमावर्ती हालात: युद्ध जैसे तनाव
- 9-10 मई की आधी रात, पाकिस्तान की सेना ने ड्रोन, मिसाइल और फाइटर जेट्स का इस्तेमाल करते हुए भारत के सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की।
- भारतीय वायुसेना और एयर डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया, जिससे भारत के किसी भी प्रमुख ठिकाने को नुकसान नहीं हुआ।
- सीमाओं पर लगातार सीजफायर उल्लंघन और सिविलियनों पर हमले से पाकिस्तान की बौखलाहट साफ दिख रही है।
कूटनीतिक मोर्चा: अमेरिका की मध्यस्थता की कोशिश
- अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर से बात की और अब उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी वार्ता की।
- जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत का रुख अब भी संयमित, जिम्मेदार और सतर्क है।
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बयान दिया है कि वह चाहते हैं कि यह संघर्ष शांति से और जल्दी समाप्त हो।
व्हाइट हाउस का रुख
- व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत और पाकिस्तान दोनों के नेताओं के साथ अपने संबंधों का उपयोग कर तनाव कम कराने की कोशिश कर रहे हैं।
- अमेरिका फिलहाल सीधे हस्तक्षेप की बजाय बैकचैनल डिप्लोमेसी के ज़रिए तनाव को कम करना चाहता है।
Had a conversation with US @SecRubio this morning.
India’s approach has always been measured and responsible and remains so.
🇮🇳 🇺🇸
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 10, 2025
भारत का रुख
- भारत अब तक सैन्य मोर्चे पर आक्रामक रक्षा और कूटनीतिक स्तर पर संयम और पारदर्शिता की नीति पर चल रहा है।
- भारतीय वायुसेना, सेना और नौसेना पूरी तरह से हाई अलर्ट पर हैं। संवेदनशील इलाकों में ब्लैकआउट और निगरानी ड्रोन भी लगाए गए हैं।
- सैन्य संतुलन और कूटनीतिक जवाबदेही दोनों ही भारत की रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं।
संभावित आगे की दिशा:
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक शक्तियाँ (जैसे रूस, फ्रांस, यूके) भी जल्द बयान जारी कर सकती हैं।
- अगर पाकिस्तान की ओर से उकसावे की कार्रवाई जारी रही, तो भारत सीमित जवाबी सैन्य ऑपरेशन (“surgical response”) पर भी विचार कर सकता है।
- अमेरिका की भूमिका शांति प्रक्रिया के दवाब की दिशा में रहेगी, लेकिन वह भारत के आत्मरक्षा अधिकार को भी नकार नहीं सकता।