देहरादून जिले में एक बार फिर से मजार जिहादियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। रायपुर ब्लॉक के माजरी मासी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय अजबपुर परिसर में एक अवैध मजार बना दी गई है। दिलचस्प बात ये है कि ये मजार किसने और कैसे बनाई इस बारे में विद्यालय अध्यापक भी खामोश है।
विद्यालय के बच्चे कक्षा में आते जाते इस मजार के आगे से गुजरते हैं, कुछ हिंदू बच्चे तो मजार के भीतर जाते देखे गए हैं। विद्यालय में कार्यरत शिक्षिकाएं कहती हैं कि हम बच्चों को वहां जाने से नहीं रोकते, हम केवल यहां पढ़ाने आते हैं और बच्चे क्या करते हैं हम इस ओर ध्यान नहीं देते। सरकारी जमीनों पर जमीन जिहाद, मजार जिहाद का खेल अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा। 500 से भी ज्यादा मजारे हटा दिए जाने के बावजूद उत्तराखंड में बेखौफ होकर मजार जिहादी अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।
सरकारी स्कूल में मजार बना दिए जाने की घटना हैरान करने वाली भी नहीं है क्योंकि हरिद्वार जिले में बहादराबाद में भी सरकारी स्कूल में मजार बना दी गई थी, जिसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था। इसी तरह देहरादून जिले के पुलिस थाने में भी मजार बना दी गई थी, जिसे धामी सरकार ने हटवाया। अभी भी देहरादून के दून अस्पताल, वन अनुसंधान केंद्र और कई क्षेत्रों में मजारें बनाकर जमीन पर कब्जा कर अंधविश्वास का धंधा बेखौफ चल रहा है।
भट्टा नवादा जंगल में वन भूमि पर भी एक बड़ी मजार बनाकर सरकारी जमीन कब्जाई हुई है। आसपास के लोगों ने बताया कि उक्त जमीन किसी पूर्व अधिकारी मित्तल की है, लेकिन उक्त जमीन पहली नजर में वन विभाग की लगती है क्योंकि आसपास बड़े-बड़े पेड़ हैं। जानकारी के अनुसार भट्टा नवादा जंगलाथ की इस जमीन पर मुस्लिम और ईसाई मिशनरियों द्वारा कन्वर्जन कराए गए लोगों ने बड़े पैमाने पर कब्जे किए हुए हैं और देहरादून जिला प्रशासन और वन विभाग आंखे मूंदे बैठा हुआ है।
जानकारी के अनुसार जंगल में अभी एक दर्जन से अधिक मजारें हैं, जिसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों ने छुपाई हुई है, ऐसे में ये सवाल भी उठता है कि क्या मजार जिहाद, जमीन जिहाद में वन विभाग के अधिकारी भी मिले हुए हैं? जगह जगह मजारें देखे जाने पर हिंदू संगठन की नेता राधा सेमवाल धोनी ने कहा है कि प्रशासन की नाक के नीचे ये जिहाद हो रहा है इसे रोकना सरकार का काम है और इसे सख्ती से रोका जाना चाहिए।
सीएम धामी के आदेश स्पष्ट, फिर भी प्रशासन खामोश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट बयान दिया हुआ है कि उत्तराखंड में जमीनजिहाद, मजार जिहाद सहन नहीं किया जाएगा, हमने 500 से ज्यादा मजारे हटाई हैं और ये अभियान अभी जारी है।