प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी। इन संशोधनों के पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित हो जाएंगी। सूत्रों के अनुसार, इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ के रूप में नामित करने की वक्फ बोर्ड की शक्ति को प्रतिबंधित करना है। इस मुद्दे पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इसके साथ ही, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी इस पर अपनी चिंता जाहिर की है।
असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “वक्फ अधिनियम में यह संशोधन वक्फ संपत्तियों को छीनने के इरादे से किया जा रहा है। यह संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला है। यह संशोधन न केवल मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि यह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है। आरएसएस की शुरू से ही वक्फ संपत्तियों को हड़पने की मंशा रही है।”
AIMPLB की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया था और उसे इस्लामी कानून के तहत वक्फ का बना लिया था। इसलिए, वक्फ कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन संपत्तियों का उपयोग केवल उन्हीं धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाए, जिनके लिए हमारे पूर्वजों ने इन्हें दान किया था। यदि सरकार को लगता है कि वक्फ अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है, तो उसे पहले हितधारकों से परामर्श करना चाहिए और उनकी राय लेनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि लगभग 60% से 70% वक्फ संपत्तियां मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों के रूप में हैं। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जोर देकर कहा कि सरकार को इन संपत्तियों की पवित्रता और धार्मिक महत्व को समझते हुए, कोई भी कदम उठाने से पहले मुस्लिम समुदाय के विचारों और चिंताओं को ध्यान में रखना चाहिए।