राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने बुधवार को एक पुस्तक के विमोचन में कहा कि भारत ने दुनिया को हमेशा ही रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को बताया है कि अलग-अलग विचारों के बीच एकता के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को विविधता में एकता नहीं, विविधता ही एकता का मंत्र दिया है।
आरएसएस प्रमुख बुधवार को संघ के वरिष्ठ प्रचारक रंगा हरि की पुस्तक पृथ्वी सूक्त के लोकार्पण कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी मौजूद थे। राज्यपाल ने कहा कि भारत के पास एक समृद्ध विरासत है। भारत का सबसे बड़ा आदर्श एकात्मता है, जो बताता है कि ज्ञान हासिल करने वाला व्यक्ति मूक हो जाता है और परिधान बदलने मात्र से राजा और सिपाही की पहचान का अंतर खत्म हो जाता है।
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत सदियों तक समुद्र और पहाड़ की सीमाओं के कारण सुरक्षित रहा। सुरक्षा के कारण अतीत में समृद्धि आई और इसी सुरक्षा और समृद्धि की भावना से उपजी स्थिरता की भावना ने नए विचार को जन्म दिया। हमने वसुधैव कुटंबकम के मंत्र से दुनिया को एक रहने का आधार दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक विचार नहीं है। एक फैक्ट है जिसका हमने अनुभव किया है।
भागवत बोले- लोग एक-दूसरे से लड़ना बंद करें
RSS प्रमुख ने कहा कि इस देश में इतनी विविधता है। इतिहास को देखें तो मनुष्य अपने आप में कुछ भी नहीं है। उसे एक छोटा सा जीव भी परेशान कर सकता है। इसलिए लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए एकत्र होना शुरू किया। लेकिन, साथ आना तो आसान है, साथ रहना मुश्किल है। जो लोग मिलेंगे नहीं, वो कभी झगड़ा भी नहीं करेंगे।
लेकिन, लोगों को एक-दूसरे से नहीं लड़ना चाहिए। हमें देश को ऐसा बनाना चाहिए कि हम देश को सिखा सकें कि हम एक हैं। भारत के अस्तित्व का यही एकमात्र मकसद है। भागवत ने कहा कि ऋषि-मुनियों ने भारत को दुनिया के भले के लिए बनाया था। उन्होंने ऐसा समाज बनाया जो अपनी शिक्षा इस देश के आखिरी इंसान तक पहुंचा सके।
उन्होंने कहा कि वे लोग सिर्फ संन्यासी नहीं थे, वे अपने परिवारों के साथ जोगियों वाली जिंदगी जीते थे। ये घुमंतू आज भी यहीं हैं, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने अपराधी जनजाति घोषित कर दिया था। ये लोग अब भी समाज के बीच अपनी संस्कृति पेश करते हैं। कुछ लोग आयुर्वेदिक का ज्ञान भी बांटते हैं। हमारे लोग ज्ञान का अर्जन करने के लिए मेक्सिको से साइबेरिया तक दुनिया घूमे हैं।
‘साथ आना तो आसान है लेकिन साथ रहना मुश्किल’
मोहन भागवत ने कहा कि आज के समय में साथ आना तो आसान है लेकिन साथ रहना मुश्किल है। जो लोग मिलेंगे नहीं, वो कभी झगड़ा भी नहीं करेंगे। लेकिन, लोगों को एक-दूसरे से नहीं लड़ना चाहिए। हमें देश को ऐसा बनाना चाहिए कि हम देश को सिखा सकें कि हम एक हैं। भारत के अस्तित्व का यही एकमात्र मकसद है।