भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में महाशक्ति बन चुका है। अमेरिकी विज्ञानी भी चाहते हैं कि भारत उनके साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी साझा करे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने रविवार को कहा कि अमेरिकी विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि भारत उनके साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी साझा करे।
इसरो ने नासा के विशेषज्ञों को किया आमंत्रित
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 92वीं जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन में अंतरिक्ष यान को डिजाइन और विकसित करने के बाद हमने जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला (जेपीएल) नासा के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया। जेपीएल से विशेषज्ञ इसरो मुख्यालय में आए। यह सॉफ्ट लैंडिंग (23 अगस्त) से पहले की बात है।
‘आपने चंद्रयान-2 को कैसे बनाया?’
सोमनाथ ने कहा कि हमने उन्हें चंद्रयान-3 के बारे में समझाया। इस पर अमेरिकी विशेषज्ञों ने पूछा कि आपने इसे कैसे बनाया? ये वैज्ञानिक उपकरण उच्च तकनीक वाले हैं। बहुत सस्ते हैं। आप इसे अमेरिका को क्यों नहीं बेचते? बता दें कि जेपीएल रॉकेट मिशन से संबंधित अनुसंधान करता है। इसे नेशनल एरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) से फंडिंग मिलती है।
‘समय बदल गया है’
सोमनाथ ने छात्रों से कहा कि आप समझ सकते हैं कि समय किस तरह बदल गया है। हम भारत में सर्वोत्तम उपकरण, सर्वोत्तम रॉकेट बनाने में सक्षम हैं। केवल इसरो ही नहीं, भारत में आज पांच कंपनियां रॉकेट और उपग्रह बना रही हैं।