भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर कई बड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं। यह घटनाक्रम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार एक्शन मोड में है और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का पुनर्गठन
🔹 नया अध्यक्ष:
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आलोक जोशी, पूर्व रॉ प्रमुख (Research & Analysis Wing) — अब NSAB के अध्यक्ष बनाए गए हैं।
🔹 अन्य प्रमुख सदस्य:
नाम | पृष्ठभूमि |
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एयर मार्शल पी.एम. सिन्हा | पूर्व पश्चिमी एयर कमांड प्रमुख |
ले. जनरल एके सिंह | पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर |
रियर एडमिरल मोंटी खन्ना | भारतीय नौसेना |
राजीव रंजन वर्मा | पूर्व IPS अधिकारी |
मनमोहन सिंह | पूर्व IPS अधिकारी |
बी. वेंकटेश वर्मा | पूर्व राजनयिक, IFS (रूस में राजदूत रहे) |
यह बोर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, भू-राजनीतिक विश्लेषण और रक्षा नीति पर सरकार को सलाह देता है।
पहलगाम आतंकवादी हमला — 26 नागरिकों की जान गई
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यह हमला राष्ट्रीय आक्रोश का कारण बना और सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए CCS (Cabinet Committee on Security) की बैठक बुलाई।
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तीन बड़ी बैठकें PM आवास पर आयोजित:
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सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS)
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राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति
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आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति
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दूसरी CCS बैठक में सुरक्षा तैयारियों पर फोकस किया गया।
भारत सरकार के जवाबी कदम:
कदम | विवरण |
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सिंधु जल समझौता रद्द | पाकिस्तान को दिए जाने वाले पानी के समझौते पर पुनर्विचार |
पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द | भारत में रह रहे पाक नागरिकों को वापस भेजने की कार्रवाई |
J&K में कड़ा सैन्य एक्शन | आतंकवादियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन तेज़ |
यह पुनर्गठन क्यों महत्वपूर्ण है?
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NSAB में सैन्य, खुफिया, कूटनीतिक और पुलिस क्षेत्र के अनुभवी लोगों की नियुक्ति, भारत की सुरक्षा रणनीति को और मज़बूती देगी।
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बोर्ड का फोकस अब केवल रणनीति तक सीमित नहीं रहेगा — प्रभावी निर्णय लागू कराने और तुरंत प्रतिक्रिया देने पर भी होगा।
निष्कर्ष:
भारत सरकार ने पहलगाम हमले के बाद स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह अब “Zero Tolerance” नीति अपना रही है।
NSAB का पुनर्गठन, पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम और आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई — ये सब राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में एक निर्णायक मोड़ को दर्शाते हैं।