केंद्र सरकार ने भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) की खरीद को मंजूरी देकर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूत किया है। इस परियोजना से भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और देश के रक्षा उद्योग को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
MRSAM प्रोजेक्ट का महत्व
- रक्षा मंत्रालय का करार:
- यह करार ₹2,960 करोड़ का है, जिसके तहत बीडीएल भारतीय नौसेना को MRSAM मिसाइलें प्रदान करेगा।
- यह समझौता ‘बाय (इंडियन)’ श्रेणी के तहत है, जिसमें अधिकतर सामग्री स्वदेशी होगी।
- आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम:
- इस करार से देश में 3.5 लाख मैन-डेज का रोजगार सृजित होगा, जिससे एमएसएमई सेक्टर को भी लाभ मिलेगा।
- DRDO द्वारा विकसित यह मिसाइल स्वदेशी सैन्य तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
MRSAM सिस्टम के प्रमुख फीचर्स
- मारक क्षमता:
- 70 किलोमीटर के दायरे में मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन और निगरानी विमान को निशाना बनाने में सक्षम।
- 2469.6 किमी/घंटा की गति से हमला।
- हवाई सुरक्षा:
- हर मौसम में 360-डिग्री ऑपरेशन।
- किसी भी संघर्ष क्षेत्र में हवाई खतरों के खिलाफ संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा।
- डिजाइन:
- वजन: 275 किलोग्राम।
- लंबाई: 4.5 मीटर।
- हथियार क्षमता: 60 किलोग्राम तक लोड।
- तकनीकी विशेषताएं:
- दो-स्टेज प्रणाली जो लॉन्च के बाद कम धुआं छोड़ती है।
- संवेदनशील रडार और नियंत्रण प्रणाली।
INS सूरत और MRSAM का संयोजन
- हाल ही में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल INS सूरत (प्रोजेक्ट 15B के तहत चौथा स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक) को MRSAM मिसाइल से लैस किया जाएगा।
- यह कदम नौसेना की आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं को और मजबूत करेगा।
- INS सूरत के अलावा, इस प्रोजेक्ट के तहत तीन अन्य जहाज—विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ, और इम्फाल—पहले ही नौसेना में शामिल किए जा चुके हैं।
इस पहल का व्यापक प्रभाव
- रक्षा क्षमताओं में वृद्धि:
- भारतीय नौसेना को मजबूत और स्वदेशी तकनीक से लैस बनाना।
- भारतीय समुद्री सीमाओं और जहाजों की रक्षा में बड़ा योगदान।
- आत्मनिर्भर भारत:
- स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा।
- छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए नए अवसर।
- रणनीतिक महत्व:
- भारत को विश्व स्तर पर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने का प्रयास।
- विविध हवाई खतरों से निपटने के लिए अधिक प्रभावी और आधुनिक प्रणाली का उपयोग।
यह करार भारत की रक्षा तैयारियों और स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उन्नयन की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारतीय नौसेना के बेड़े में MRSAM की तैनाती से देश की समुद्री सुरक्षा में नई ऊंचाईयां जुड़ेंगी।