NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) ने अपनी सभी पाठ्य पुस्तकों में India की जगह देश का नाम भारत लिखने का निर्णय लिया है। NCERT के मुखिया सीआई इस्साक ने कहा कि भारत नाम बच्चों में गर्व की भावना पैदा करता है। उन्होंने इसकी पुष्टि की कि सिलेबस में अब बच्चों को इंडिया की जगह भारत ही पढ़ाया जाएगा। हालाँकि, भारत के विपक्षी दल इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। इस्साक ने इसका भी कड़ा जवाब दिया है।
NCERT अध्यक्ष एवं प्रोफेसर ने कहा कि जो लोग इस सुझाव का विरोध कर रहे हैं, उनलोगों ने ही मद्रास का नाम बदल कर चेन्नई किया था और केरल का नाम केरलम रखे जाने की माँग कर रहे हैं। उन्होंने भारत नाम को कम से कम 7000 वर्ष पुराना बताते हुए कहा कि बच्चों को ये नाम सुन कर हमारी समृद्ध विरासत और इतिहास पर गर्व होगा। वहीं उन्होंने इंडिया नाम को महज 150 वर्ष पुराना करार दिया। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी भारत नाम सीखे, इसी भावना के साथ पाठ्य पुस्तकों में ये बदलाव किया जा रहा है।
They changed:
Madras to Chennai
Calcutta to Kolkata
Bombay to Mumbai
Trivandrum to Thiruvananthapuram
and want to change Kerala to Keralam
So why issue with India to Bharat?
An excellent and very Pertinent question from #NCERT chief CI Issac tp those who are opposing Bharat👍 pic.twitter.com/WAAw35jM4Z
— Great Bharat (@makebharatsolid) October 27, 2023
कक्षा 7वीं से लेकर 12वीं तक के सिलेबस में देश का नाम भारत पढ़ाने का सुझाव दिया गया है। नई शिक्षा नीति बनने के बाद NCERT की समिति ने ये फैसला लिया। सीआई इस्साक ने कहा कि उनकी पीढ़ी को इंडिया सिखाया गया है और वो इंडिया ही कहते हैं। उन्होंने कहा कि वो ये नहीं कह रहे कि India शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उनकी अध्यक्षता में 2021 में समिति गठित की गई थी, जिसने विभिन्न सिफारिशें दी हैं।
हालाँकि, केरल के शिक्षा मंत्री शिवनकुट्टी ने इस मामले में विरोधी रुख अख्तियार करते हुए कहा था कि राज्य ने सामाजिक विज्ञान विषय के लिए NCERT द्वारा की गई सिफारिशों को ख़ारिज कर दिया है। वहीं अब शुक्रवार (27 अक्टूबर, 2023) को केरल सरकार ने केंद्र से कहा है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। केरल के शिक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को इस संबंध में पत्र लिखा है। इसमें दावा किया गया है कि देश की एकता के लिए इंडिया नाम का इस्तेमाल किया जाना ही ठीक है।
केरल सरकार का दावा है कि छात्रों ने देश के इतिहास और विरासत के बारे में इंडिया नाम से ही पढ़ा है। साथ ही NCERT द्वारा एक खास विचारधारा को समर्थन दिए जाने का दावा करते हुए पत्र में कहा गया है कि किसी राजनीतिक या विचारधारा वाले उद्देश्य से ऐसे निर्णय लिए जाने की समीक्षा होनी चाहिए। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी इस पर आपत्ति जता चुके हैं। केरल में CPM के नेतृत्व में वामपंथी सरकार चल रही है।
यहाँ ये याद दिलाना ज़रूरी है कि ये वही सरकार है जिसने अगस्त 2022 में विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था कि केरल का नाम बदल कर केरलम कर दिया जाए। खुद सीएम ये प्रस्ताव लेकर आए थे और केंद्र सरकार को सुझाव भेजा गया था कि 8वीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में राज्य का नाम केरलम रखा जाए। केरल के कुछ लोगों का मानना है कि हिंदी में केरलम ही अंग्रेजी में केरला हो गया है। वहीं केरल का नाम मलनाडु रखने की माँग भी होती रही है, जो उनकी मलयाली पहचान पर आधारित है।