नई शिक्षा नीति-2020 का प्रारूप पूर्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा तैयार किया गया है। कक्षा 5 तक के छात्रों के लिए शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होगा। सिर्फ रट्टा सीखने के बजाय पूरा जोर बच्चे के कौशल और क्षमताओं के विकास पर होगा। नई शिक्षा नीति का लक्ष्य 2040 तक एक कुशल शिक्षा प्रणाली बनाना है, जिसमें सभी शिक्षार्थियों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक समान पहुंच हो। इसका उद्देश्य एक नई प्रणाली का निर्माण करना है, जो भारत की परंपराओं और मूल्य प्रणालियों पर निर्माण करते हुए एसडीजी4 सहित 21वीं सदी की शिक्षा के आकांक्षात्मक लक्ष्यों के साथ संरेखित हो। यह राज्यों, केंद्र द्वारा शिक्षा पर सार्वजनिक खर्च को जीडीपी के 6 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करता है।
नई नीति में कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा, पर किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की बाध्यता नहीं होगी। विद्यालयों में सभी स्तरों पर छात्रों को बागवानी, नियमित रूप से खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धता के अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी ताकि बच्चे शारीरिक गतिविधियों एवं व्यायाम वगैरह में भाग ले सकें।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इस बात को माना कि अब भारत रिकॉर्ड गति से गरीबी को खत्म कर रहा है। इसका श्रेय केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के हित को ध्यान में रखते हुए लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसलों को जाता है। देश की वित्तीय धारा से दूर गरीबों को वित्तीय धारा में लाने के लिए प्रधानमंत्री जन धन योजना शुरू की।
अब तक 48 करोड़ से अधिक जन धन खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों ने न केवल गरीबों को बैंक से जोड़ा, बल्कि सशक्तीकरण के अन्य रास्ते भी खोले हैं। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की संख्या 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत और शहरी इलाकों में गरीबी दर 8.65 से घटकर 5.27 प्रतिशत रह गई है।