सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद ने G20 समिट के समापन के बाद अपना भारत का एक दिवसीय राजकीय दौरा शुरू किया। नई दिल्ली स्थित ‘हैदराबाद हाउस’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बैठक भी हुई। ‘सऊदी-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल’ की बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि भारत के साथ वो एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने की भी योजना तैयार हो रही है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि ये काम दुष्कर है और इसमें अभी बहुत समय और मेहनत लगनी है।
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब और भारत के संबंधों से दोनों देशों का फायदा है और दोनों देश साथ मिल कर भविष्य के मौकों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में रहने वाला भारतीय समाज हमारा ही हिस्सा है और हम उनका अपने नागरिकों के लिए ख्याल रखेंगे। इससे पहले भारत और सऊदी अरब में कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। भारत ने सऊदी अरब के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की बात कही।
काउंसिल की ये पहली लीडर्स बैठक थी, जिसकी घोषणा 2019 में पीएम मोदी के पहले सऊदी अरब दौरे के दौरान हुआ था। उन्होंने कहा कि इससे हमारे रणनीतिक संबंधों में मजबूती आई है। पीएम मोदी ने इन संबंधों में नए और आधुनिक आयाम जोड़ने की बात करते हुए सऊदी अरब को सबसे महत्वपूर्ण स्ट्रैटेजिक पार्टनर्स में से एक बताया और दोनों को विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था करार दिया। उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के साथ ये साझेदारी अहम है।
पीएम मोदी ने कहा, “इस बैठक से हमारे संबंधों को एक नई ऊर्जा और दिशा मिलेगी। हमें मानवता की भलाई के लिए काम करते रहने की प्रेरणा मिलेगी। हम भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच ऐतिहासिक कॉरिडोर स्थापित करने की बात की है। इससे हमारे बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा का विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी को बल मिलेगा। क्राउन प्रिंस के ‘विज़न 2030’ के माध्यम से सऊदी अरब जिस तेजी से आर्थिक-सामाजिक प्रगति कर रहा है, उसके लिए मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ।”
उन्होंने सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता हेतु और G20 की सफलता योगदान में लिए भी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद को धन्यवाद दिया। 2019 के बाद सऊदी अरब के क्राउन्स प्रिंस की ये भारत की दूसरी राजकीय यात्रा है। बैठक से पहले राष्ट्रपति भवन में उनका परंपरागत स्वागत किया गया। IT, कृषि, फार्मा, पेट्रोकेमिकल और मानव संसाधन के क्षेत्रों में 2 दर्जन से भी अधिक MoU पर हस्ताक्षर किए गए।