8 मई, 2025 को पाकिस्तान ने जम्मू, अमृतसर, पठानकोट, जैसलमेर समेत कई भारतीय शहरों को अपना निशाना बनाया। उसने इन शहरों पर ड्रोन स्वार्म (ड्रोन का समूह) दागा। पाकिस्तान इसके जरिए भारत के सैन्य ठिकानों और रिहायशी इलाकों में नुकसान पहुँचाना चाहता था। इसका भारत ने करारा जवाब दिया, उन्होंने यह सभी हमले नाकाम कर दिए। भारत ने इसके अपनी उन्नत रक्षा प्रणालियों का इस्तेमाल किया। जहाँ रूस से लिए गए S-400 सिस्टम ने कई हमले नाकाम किए तो वहीं अधिकांश को जवाब भारतीय सिस्टमों ने ही दिया।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से S-400 और उसको भारतीय सेना में शामिल करने को लेकर काफी चर्चा हुई है। हालाँकि, इस चर्चा में भारतीय एयर डिफेन्स सिस्टम AKASH, उन्नत L-70 तोपों और MRSAM जैसे सिस्टमों के विषय में ज्यादा बात नहीं हुई। पाकिस्तान के इस हमले को नाकाम करने में इनका सबसे बड़ा रोल रहा है। पाकिस्तान ने हमला जरूर किया लेकिन यह इतने भी जबरदस्त नहीं थे कि इनके लिए हजारों करोड़ के S-400 जैसे सिस्टम का इस्तेमाल लगातार किया जाए। नीचे हम बता रहे हैं कि कौन-कौन से भारतीय सिस्टम इस्तेमाल हुए हैं।
AKASH मिसाइल सिस्टम
AKASH मिसाइल सिस्टम को DRDO ने विकसित किया है। यह एक सरफेस टू एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम है। इसका मुख्य काम दुश्मन के हवाई हमले का जावाब देना है। यह दुश्मन के विमानों इसे भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने विकसित किया है। AKASH सिस्टम वर्ष 2009 में भारतीय सेना में शामिल है।
इसका इस्तेमाल थल सेना और वायु सेना, दोनों ही करती है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत के पास वर्तमान में 15000+ से अधिक AKASH मिसाइल हैं। एक AKASH सिस्टम की कीमत लगभग ₹2.5 करोड़ है। इसकी एक यूनिट में एक राडार और चार लॉन्चर होते हैं। इसमें शामिल राडार का नाम राजेन्द्र है।
यह दुश्मन के हवाई टारगेट को ट्रैक करता है। यह दुश्मन की मिसाइलें, लड़ाकू विमान और ड्रोन जैसे चीजों को ट्रैक करता है। इसके बाद AKASH सिस्टम में शामिल 3 लॉन्चर इन पर मिसाइलें दागते हैं। AKASH सिस्टम एक बार में 64 ऐसे टारगेट ट्रैक कर सकता है और उनमें से 12 को निपटा सकता है।
यह लगभग 50 किलोमीटर दूर से खतरे को ट्रैक कर सकता है और 18 किलोमीटर तक की ऊँचाई पर उड़ रहे किसी दुश्मन के किसी मिसाइल-विमान को गिरा सकता है। AKASH सिस्टम को भारत ने सीमाई इलाकों में तैनात किया हुआ है। यह भारत के कई एयरबेस और सीमाई पोस्ट पर तैनात है।
The Akash missile system is an indigenously developed mobile Surface to Air Missile System of #IAF.
With an ability to handle multiple targets simultaneously, it can effectively engage manoeuvring aerial platforms.#IAFCapabilities pic.twitter.com/3BOxPAfRJ1
— Indian Air Force (@IAF_MCC) May 9, 2022
पाकिस्तान के हमलों को इसी सिस्टम ने बड़े पैमाने पर रोका है। AKASH मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान द्वारा फायर किए गए ड्रोन मार गिराए हैं। सैन्य अधिकारीयों ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि इसका पूरा इस्तेमाल इस हमले में किया गया है।
MRSAM मिसाइल सिस्टम
भारत ने इस हमले में MRSAM सिस्टम भी इस्तेमाल किया हैं। यह भी सरफेस टू एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम है लेकिन यह AKASH सिस्टम से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है। इसे भी DRDO ने विकसित किया है। इसे इजरायल के साथ मिलाकर बनाया गया है।
MRSAM में सुपरसोनिक मिसाइल शामिल होती हैं। यह लगभग 70 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को उड़ाने में सक्षम है। MRSAM को वर्तमान में भारतीय वायुसेना और नौसेना इस्तेमाल करते हैं। MRSAM को ट्रकों पर लगाया जा सकता है और इसे जहाजों पर भी लगाया जाता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसे भी भारत के वायुसेना के अड्डों पर भी तैनात की गई है।
MRSAM सिस्टम लगभग 2000 किलोमीटर का इलाका कवर करता है और इसमें आने वाले किसी हवाई खतरे को तुरंत उड़ा देता है। MRSAM को भी रिपोर्ट्स के अनुसार इस हमले में इस्तेमाल किया गया है। वायुसेना में MRSAM को 2021 में शामिल किया गया था। MRSAM को और भी विकसित करने पर वर्तमान में काम चल रहा है।
L-70 एंटी एयरक्राफ्ट गन
इन मिसाइल सिस्टम के अतिरिक्त भारत ने पाकिस्तानी ड्रोन गिराने के लिए बड़े पैमाने पर L-70 एंटी एयरक्राफ्ट गन भी इस्तेमाल की। यह स्वीडन की बोफोर्स कम्पनी ने बनाई है और इसका निर्माण भारत में ही लार्सन एंड टुब्रो कम्पनी करती है। भारत के पास ऐसी 1000 ऐसी एंटी एयरक्राफ्ट गन हैं।
भारत ने इन्हें राडार समेत अन्य कई तकनीकी मोर्चों पर मजबूत भी किया है। L-70 एंटी एयरक्राफ्ट गन अब ड्रोन हमले नाकाम में करने में भी बड़े स्तर पर सक्षम है। यह लगभग 4 किलोमीटर दूरी तक मार करती है। यह दुश्मन के ड्रोन को केवल फायर करके ही नहीं गिराती बल्कि उन्हें जाम भी कर देती है।
L-70 को भारत ने जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कई जगह लगा रखा है। L-70 के कई ड्रोन को गिराने के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। कई विशेषज्ञों ने बताया है कि जम्मू के ऊपर हुए अधिकांश हमले इसी एंटी एयरक्राफ्ट गन ने नाकाम किए हैं।
DRDO का काउंटर UAS सिस्टम
पाकिस्तान के हमले को नाकाम करने के लिए DRDO का कौन्ते UAS सिस्टम भी इस्तेमाल किया गया है। आधिकारिक तौर भी इस बात की पुष्टि की जा चुकी है। DRDO ने D4 नाम से एक ड्रोन विरोधी सिस्टम तैयार किया है। इसका नाम D4 है। इसे एक ट्रक पर लगाया जाता है।
इसका निर्माण BEL करती है। BEL ने इसके बारे में बताया है कि यह काउंटर ड्रोन सिस्टम (डी4 सिस्टम) उड़ते हुए ड्रोन (माइक्रो/स्मॉल यूएवी) को तुरंत खोजने, पता लगाने, ट्रैकिंग और न्यूट्रलाइजेशन (सॉफ्ट/हार्ड किल) करने में सक्षम है। DRDO का यह सिस्टम भी फायर के अलावा ड्रोन को जाम करके गिरा सकता है।
इन भारतीय सिस्टम के अलावा भारत ने शिल्का, ZU-23 और S-400 समेत कई ऐसे ही एयर डिफेन्स तकनीकों का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ किया है। इसके चलते पाकिस्तान कोई भी नुकसान भारतीय शहरों को नहीं पहुँचा पाया है। हालाँकि, भारत द्वारा किए गए हमलों में लाहौर का एयर डिफेन्स तबाह कर दिया गया है।