देश के विभिन्न हिस्सों में कई कट्टर इस्लामी संगठनों द्वारा जारी धर्मान्तरण की साजिश के शिकार कुछ पीड़ितों से मंगलवार को मुलाकात की। हमने अपनी पहली रिपोर्ट में केरल के कासरगोड की रहने वाले एक ब्राह्मण लड़की श्रुति से हुई बातचीत के अंश प्रकाशित किए थे। इस दौरान श्रुति ने बताया था कि साजिश से अनजान लोगों को इस्लाम कबूल करवाने के लिए एक बड़ा नेटवर्क एक्टिव है।
इसी बातचीत में श्रुति ने आगे बताया कि उनके ब्रेनवाश के दौरान उन्हें न केवल अन्य धर्मों से नफरत बल्कि इस्लाम के लिए पूरी तरह समर्पित होना सिखाया गया। श्रुति के मुताबिक उन्हें यकीन दिलाया गया था कि उनका (मुस्लिमों का) पहनवा और जीवन शैली सबसे अच्छा है, जिससे बाकी सभी महिलाओं को अपना लेना चाहिए। इस ब्रेनवाश में ‘बुर्का न पहनना वेश्यावृत्ति’ जैसी बातें भी शामिल थीं। ये बातें मौलानाओं और श्रुति के मुस्लिम दोस्तों द्वारा कही गईं थीं।
श्रुति का कहना था कि उनसे मिलने वाले मौलानाओं या मुस्लिम दोस्त पूरी तरह इस्लाम में आने पर ही नमाज़ या रोजा कबूल होने की बात किया करते थे। श्रुति के अनुसार उन्हें बुर्का पहनने के लिए राजी करने के लिए कई कुतर्क दिए गए। इन कुतर्कों में गैर मर्दों द्वारा नंगी त्वचा देखना वेश्यावृत्ति जैसे बताना भी शामिल था। हालाँकि अब श्रुति इन बातों को उन मौलानाओं द्वारा की जाने वाली तार्किक हेरफेर मानती हैं। श्रुति ने यह भी बताया था कि ब्रेनवॉश के दौरान उनमें हीन भावना पैदा की जाती थी और माहौल ऐसा बना दिया जाता था कि उस बारे में कोई सोचे भी नहीं।
एक अन्य पीड़िता विशाली शेट्टी ने भी धर्मांतरण पर अपना अनुभव साझा किया। विशाली के मुताबिक उनका ब्रेनवाश उनके ऑफिस में हुआ था। यही उन्हें कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया गया और इस्लाम की तरफ आकर्षित किया गया। विशाली ने केरल में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में बेंगलुरु की एक आईटी कंपनी में काम करने गईं थीं। यहीं उनके साथियों ने विशाली के धर्म के बारे में सवाल करना शुरू किया। शुरुआत में यह बातचीत सामान्य ज्ञान और आम बातचीत की तरह होती थी।
विशाली का कहना है कि उनके पास अपने दोस्तों द्वारा किए जाने वाले सवालों के जवाब नहीं थे। विशाली में धर्म के प्रति खाली जगह देख कर उनके दोस्तों ने उसमें इस्लाम की जानकारी भरनी शुरू कर दी थी। उस समय विशाली को लगता था कि जो उनके साथी कह रहे हैं, वो सही है। कहीं न कहीं विशाली को यह लगने लगा था कि जिस धर्म का पालन वो बचपन से करती आ रहीं हैं, उसमें कमी जरूर है। हालाँकि विशाली इस हद तक ब्रेनवाश नहीं हुई थीं कि वो नमाज़ पढ़ें या बुर्का पहने। विशाली का कहना है कि कुछ समय बाद उन्हें लगने लगा था कि उन्हें फँसाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वो कट्टरपंथ की तमाम चालों को समझ गई और आख़िरकार फिर से सनातन धर्म में लौट आई।
पीड़िताओं का कहना है कि उनमें कट्टरपंथ भरने के दौरान इस सोच का बना दिया जाता है कि कोई भी अपनी ही आस्था की बुराई शुरू कर देता है। उन्होंने बताया कि सोच को धीमे जहर की तरह इस स्तर पर ला दिया जाता है कि उनके शिकार को बाकी लोगों से विरक्ति हो जाए। इस नेटवर्क की शिकार हुई श्रुति ने यह भी बताया कि धर्मान्तरण का ये काम पूरे देश में चल रहा है, जिसमें खासतौर पर दक्षिण भारत में इससे जुड़े लोग ज्यादा सक्रिय हैं।
धर्मान्तरण और लव जिहाद देश के लिए एक ज्वलंत समस्या की तरह है। श्रुति और विशाली ने जिस नेटवर्क को अपनी आपबीती में बताया है, उसे सुदीप्तो सेन की The Kerala Story में बहुत अच्छी तरह से दिखाया गया है। 5 मई 2023 को रिलीज हुई यह हिट फिल्म बॉक्स ऑफिस पर तमाम रिकॉर्ड तोड़ रही है। फिल्म में केरल के उन चरमपंथियों को दिखाया गया है जो प्रेमजाल में फँसा कर राज्य की महिलाएँ को ISIS में भर्ती करने के लिए काम कर रहे हैं। फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि कई लड़कियाँ ऐसी भी हैं, जिन्होंने सीरिया जा कर ISIS आतंकवादियों से निकाह कर लिया। इन पीड़िताओं में हिन्दू के साथ ईसाई महिलाएँ भी हैं।
द केरल स्टोरी सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है। इसका ट्रेलर जारी होने के बाद से ही वामपंथी, कॉन्ग्रेसी और इस्लामी समूह एकजुट होकर फिल्म को झूठी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। पहले इन सभी ने फिल्म को सिनेमाघरों में चलने से रोकने की कोशिश की थी। हालाँकि इन विरोधों के बावजूद लोगों ने इस फिल्म को काफी पसंद किया है। इस फिल्म को देखने के बाद कई लोगों ने यह भी बताया कि उन्हें देश में चल रही इन तमाम बातों की जानकारी ही नहीं थी।