भारत की सामरिक शक्ति में अगले साल तक और अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद है. अगले साल तक सतह से हवा में मार करने वाली रूस की मिसाइल प्रणाली एस-400 ट्रायम्फ की बाकी दो रेजिमेंट भारत पहुंचेंगी. यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर इसकी आपूर्ति में कुछ देरी हुई है. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार (23 अप्रैल) को यह जानकारी दी है.
रूस पहले ही 5.5 अरब डॉलर के सौदे के तहत भारत को लंबी दूरी की इस मिसाइल प्रणाली की तीन इकाइयों की आपूर्ति कर चुका है. सूत्रों ने बताया कि सितंबर तक भारत को युद्धपोत तुशिल भी मिलने की उम्मीद है. इसे भी रूस ने ही बनाया है. उन्होंने कहा कि दूसरा युद्धपोत तमाल की आपूर्ति भी जनवरी तक कर दी जाएगी.
40 से 400 किमी तक है रेंज
एस-400 मिसाइल सिस्टम को खास चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए डिप्लॉय किया जाएगा। इसकी रेंज 40 से 400 किमी तक है। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की अक्तूबर 2018 में हुई भारत यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच इस एस-400 मिसाइल तकनीक के लिए करार हुआ है। मौजूदा समय में इस मिसाइल तकनीक को दुनिया की सबसे ताकतवर रक्षा प्रणाली समझा जाता है।
2024 में ही हो जानी थी S-400 की आपूर्ति
अधिकारियों ने बताया है कि पहले तय की गई समयसीमा के मुताबिक जहाजों की आपूर्ति 2022 तक होनी थी. जबकि एस-400 की आपूर्ति 2024 तक पूरी होनी थी. रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति में कुछ देरी हुई. आपूर्ति के लिए एक नई समयसीमा तय की गई है.
रूस 2018 में हुए चार फ्रिगेट सौदे के तहत स्टील्थ फ्रीगेट की आपूर्ति कर रहा है. शेष दो जहाज भारत में बनाए जा रहे हैं. पहले के समझौतों में तय की गई शर्तों के मुताबिक एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति अगले साल तक पूरी हो जाएगी.
भारत की सामरिक शक्ति में अगले साल तक और अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद है. अगले साल तक सतह से हवा में मार करने वाली रूस की मिसाइल प्रणाली एस-400 ट्रायम्फ की बाकी दो रेजिमेंट भारत पहुंचेंगी. यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर इसकी आपूर्ति में कुछ देरी हुई है. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार (23 अप्रैल) को यह जानकारी दी है.
2024 में ही हो जानी थी S-400 की आपूर्ति
अधिकारियों ने बताया है कि पहले तय की गई समयसीमा के मुताबिक जहाजों की आपूर्ति 2022 तक होनी थी. जबकि एस-400 की आपूर्ति 2024 तक पूरी होनी थी. रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति में कुछ देरी हुई. आपूर्ति के लिए एक नई समयसीमा तय की गई है.
रूस 2018 में हुए चार फ्रिगेट सौदे के तहत स्टील्थ फ्रीगेट की आपूर्ति कर रहा है. शेष दो जहाज भारत में बनाए जा रहे हैं. पहले के समझौतों में तय की गई शर्तों के मुताबिक एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति अगले साल तक पूरी हो जाएगी.
अमेरिका दे चुका है प्रतिबंध की चेतावनी
चीन से पैदा होने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत मिसाइल प्रणालियां खरीद रहा है, ताकि अपनी वायु शक्ति क्षमता को बढ़ाया जा सके. भारत ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पांच इकाई खरीदने के लिए 5.5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अनुबंध आगे बढ़ने पर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंध लग सकते हैं.
सीएएीएसए रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में लगे किसी भी देश के खिलाफ एक तरह की दंडात्मक कार्रवाई है. रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल प्रणाली की पहली रेजीमेंट की आपूर्ति शुरू की और इसे भारत के उत्तरी क्षेत्र में चीन के साथ लगी सीमा और पाकिस्तान के साथ लगी सीमा को कवर करने के लिए तैनात किया गया है.
अमेरिका दे चुका है प्रतिबंध की चेतावनी
चीन से पैदा होने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत मिसाइल प्रणालियां खरीद रहा है, ताकि अपनी वायु शक्ति क्षमता को बढ़ाया जा सके. भारत ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पांच इकाई खरीदने के लिए 5.5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अनुबंध आगे बढ़ने पर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंध लग सकते हैं.
सीएएीएसए रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में लगे किसी भी देश के खिलाफ एक तरह की दंडात्मक कार्रवाई है. रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल प्रणाली की पहली रेजीमेंट की आपूर्ति शुरू की और इसे भारत के उत्तरी क्षेत्र में चीन के साथ लगी सीमा और पाकिस्तान के साथ लगी सीमा को कवर करने के लिए तैनात किया गया है.