भारत में बन रही पहली स्वदेशी वैक्सीन, ट्रायल अंतिम चरण में
डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी से अब डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत को जल्द ही इसकी पहली स्वदेशी वैक्सीन मिलने की उम्मीद है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे, जो कि ICMR के अंतर्गत कार्यरत है, ने इस दिशा में बड़ी कामयाबी हासिल की है। डेंगू वायरस के चार अलग-अलग सीरोटाइप होने की वजह से अब तक इसकी वैक्सीन बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी की मदद से जो फॉर्मूला तैयार किया है, वह इन सभी सीरोटाइप्स पर प्रभावी होने की संभावना दिखा रहा है।
ट्रायल अंतिम चरण में है और अब तक के नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं। यदि यह चरण भी सफल रहा, तो जल्द ही देश को पहली पूर्ण रूप से स्वदेशी, सुरक्षित और प्रभावी डेंगू वैक्सीन मिल सकती है।
सिर्फ डेंगू ही नहीं, अन्य वायरसों के खिलाफ भी तैयारी
भारत NIV की अगुवाई में कई खतरनाक वायरसों के लिए भी वैक्सीन विकसित कर रहा है:
- निपाह वायरस: पहले केवल विदेशों पर निर्भरता थी, अब भारत ने इसकी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार कर ली है।
- KFD (क्यासनूर फॉरेस्ट डिजीज): कर्नाटक व आसपास के क्षेत्रों में फैलने वाला यह वायरस अब वैक्सीन के एडवांस स्टेज में है।
- CCHF (क्राइमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर): जानवरों से इंसानों में फैलने वाले इस वायरस के लिए डायग्नोस्टिक किट और वैक्सीन पर काम शुरू हो चुका है।
- चांदीपुरा वायरस: बच्चों में मृत्यु दर बढ़ाने वाला यह वायरस, जिसके मामले हाल में गुजरात में सामने आए थे, उस पर भी NIV द्वारा वैक्सीन तैयार की जा रही है।
भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता
इन सभी प्रयासों से स्पष्ट है कि भारत अब संक्रामक बीमारियों की रोकथाम और इलाज में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ये वैज्ञानिक उपलब्धियां सिर्फ स्वदेशी नवाचार की मिसाल नहीं हैं, बल्कि देश के स्वास्थ्य सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होंगी।
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