भारत की एयरोस्पेस शक्ति को एक ऐतिहासिक नई उड़ान मिली है। फ्रांस की प्रतिष्ठित रक्षा और एविएशन कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) और भारत की अग्रणी एयरोस्पेस कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने चार महत्वपूर्ण प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अब राफेल फाइटर जेट का मुख्य ढांचा (फ्यूजलेज) भारत में तैयार किया जाएगा।
🔹 पहली बार भारत में बनेगा राफेल का ढांचा
यह पहली बार है जब फ्रांस के बाहर राफेल विमान का फ्यूजलेज तैयार होगा। इससे भारत को वैश्विक एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में एक विश्वसनीय और मजबूत केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा समर्थन मिलेगा।
🔹 हैदराबाद में बनेगी अत्याधुनिक निर्माण इकाई
इस साझेदारी के तहत, TASL हैदराबाद में एक अत्याधुनिक प्रोडक्शन फैसिलिटी स्थापित करेगा, जहां राफेल जेट के कई अहम सेक्शन जैसे:
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रियर फ्यूजलेज के लेटरल शेल
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पूरा पिछला हिस्सा
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सेंट्रल और फ्रंट सेक्शन
तैयार किए जाएंगे।
यह इकाई FY2028 तक उत्पादन शुरू करेगी और शुरुआत में प्रति माह दो पूर्ण फ्यूजलेज तैयार करने की क्षमता रखेगी।
🔹 कंपनी प्रमुखों की प्रतिक्रिया
डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने इसे “भारत में सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में निर्णायक कदम” बताया। उन्होंने कहा कि TASL जैसे भरोसेमंद साझेदार के साथ मिलकर गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा दोनों बरकरार रखी जाएगी।
TASL के सीईओ और एमडी सुकरण सिंह ने कहा, “राफेल फ्यूजलेज का निर्माण भारत की एयरोस्पेस यात्रा में एक क्रांतिकारी मोड़ है। यह भारत की औद्योगिक क्षमताओं और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है।”
🔹 समझौते की अहम बातें:
बिंदु | विवरण |
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पहली बार | राफेल का फ्यूजलेज फ्रांस के बाहर भारत में बनेगा |
स्थान | हैदराबाद |
उत्पादन प्रारंभ | वित्त वर्ष 2028 से पहले |
उत्पादन क्षमता | हर महीने 2 पूर्ण फ्यूजलेज |
लाभ | ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूती |
वैश्विक कनेक्शन | भारत को वैश्विक एयरोस्पेस सप्लाई चेन में नई पहचान |
🔹 रणनीतिक और औद्योगिक महत्व
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रक्षा आत्मनिर्भरता: भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का खरीदार नहीं, बल्कि निर्माता और निर्यातक भी बनेगा।
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रोजगार और कौशल विकास: इस यूनिट से देश में हज़ारों कुशल इंजीनियरों और तकनीशियनों को रोजगार मिलेगा।
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निर्यात क्षमता: भविष्य में भारत राफेल के कलपुर्जे या सेक्शन अन्य देशों को निर्यात भी कर सकता है।
यह समझौता न केवल भारतीय एयरोस्पेस उद्योग की वैश्विक स्तर पर उन्नति का प्रतीक है, बल्कि यह भारत को ‘डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सुपरपावर’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। राफेल जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट का ढांचा भारत में बनना, दुनिया को यह संदेश देता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में तकनीकी और औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।