भारतीय रेलवे में सुरक्षा और तकनीकी प्रगति के तहत कवच-4 सिस्टम को तेजी से लागू किया जा रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना को लेकर कई अहम जानकारियां साझा कीं, जो रेलवे के भविष्य और यात्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कवच-4 सिस्टम की विशेषताएं और प्रगति:
- तेज गति से इंस्टॉलेशन:
- पहले एक लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल करने में 15 दिन लगते थे, जिसे घटाकर 22 घंटे कर दिया गया है।
- देशभर में 200 लोकोमोटिव प्रतिदिन कवच से लैस किए जा रहे हैं।
- वर्कशॉप और कवरेज:
- 68 लोकोमोटिव मेंटेनेंस वर्कशॉप में यह काम जारी है।
- रेलवे का लक्ष्य है कि 6 वर्षों के भीतर पूरे रेल नेटवर्क में कवच सिस्टम स्थापित कर दिया जाए।
- कम लागत और कुशलता:
- कवच सिस्टम को अन्य देशों की तुलना में सबसे कम लागत में विकसित और इंस्टॉल किया जा रहा है।
- भारतीय रेलवे ने यह दिखाया है कि तकनीकी नवाचार और संसाधन प्रबंधन के साथ कम समय और लागत में बड़े पैमाने पर काम किया जा सकता है।
- सुरक्षा का नया मानक:
- कवच-4 के साथ रेलवे जीरो ट्रेन एक्सीडेंट और जीरो ट्रेन डिरेलमेंट का लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर है।
- यह सिस्टम ट्रेनें ट्रैक पर सुरक्षित दूरी बनाए रखने, टकराव रोकने और गति नियंत्रण सुनिश्चित करने में सक्षम है।
रेलवे के लिए कवच का महत्व:
- सुरक्षा में सुधार:
कवच एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जो ट्रेन ऑपरेशन को सुरक्षित और प्रभावी बनाती है। - यात्री भरोसा:
कवच के जरिए दुर्घटनाओं को रोककर रेलवे में यात्रियों का भरोसा बढ़ाया जा रहा है। - तकनीकी आत्मनिर्भरता:
यह प्रणाली मेक इन इंडिया पहल का एक हिस्सा है और रेलवे की तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाती है।
भविष्य की योजना:
- पूरे रेल नेटवर्क पर कवच सिस्टम की स्थापना के साथ भारतीय रेलवे दुनिया में सबसे सुरक्षित और आधुनिक रेलवे बनने की दिशा में काम कर रहा है।
- इस परियोजना के पूरा होने के बाद, भारतीय रेलवे के लिए दुर्घटनामुक्त संचालन का सपना साकार होगा
रेलवे के पास 18 हजार इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव
रेल मंत्री ने कहा कि देशभर के हर वर्कशॉप में रोजाना करीब 10 से 12 लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल किए जाने की क्षमता है. रेलवे के परिचालन पर निर्भर करता है कि किस वर्कशॉप में एक दिन में कितने लोकोमोटिव में कवच लग पाता है. पिछले दिनों रेल मंत्रालय ने आदेश जारी किया था.
उन्होंने बताया कि ग्राउंड वर्क और तकनीकी सहूलियत को पुख्ता करने के बाद जो भी इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव मेंटिनेंस के लिए लोको वर्कशॉप में 24 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए आता है, उस लोकोमोटिव इंजन में कवच-4 भी इंस्टॉल किया जाए. भारतीय रेल मंत्रालय के अनुसार, रेलवे के पास कुल 18 हजार इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव हैं.
10 हजार लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल करने का टारगेट
इन इंजनों में दो साल में 10 हजार लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल करने का टारगेट रखा गया है. जबकि अगले चार साल में सभी इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव में और देशभर के इलेक्ट्रीफाइड रेल ट्रैक पर कवच 4 इंस्टॉल होना है. भारतीय रेलवे बड़े पैमाने पर कवच को इंस्टॉल करने के लिए रेलवे ने सबसे पहले नौ हजार रेल कर्मियों को ट्रेनिंग दी है.
फिलहाल, कुल 15 हजार किलोमीटर रेल ट्रैक पर कवच लगाने का टेंडर दिया गया है. अब तक एक हजार किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर कवच इंस्टॉल कर दिया गया है, जिनमें मुंबई से बड़ौदा और दिल्ली से पलवल रूट शामिल हैं.