थलसेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने मंगलवार को कहा कि भारत ने चीन से लगी सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण में पड़ोसी देश की तुलना में देर से शुरुआत की, लेकिन अब इस पर तेजी से काम हो रहा है। भारत और चीन के बीच मौजूदा स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति सामान्य लेकिन कुछ हद तक अप्रत्याशित बनी हुई है। मुद्दों का समाधान होने तक समस्याएं बनी रहेंगी।
कलिता ने पत्रकारों से कहा, चीन ने हमसे बहुत पहले बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू कर दिया था। हमने यह काम देर से शुरू किया। लेकिन अब चाहे वह लद्दाख हो या सिक्किम या अरुणाचल प्रदेश या उत्तराखंड या हिमाचल एलएसी के पास बुनियादी ढांचे के निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक परि²श्य में बदलाव आ रहा है।
इस बदलाव ने सेना को प्रभावित किया है। केवल सेना भविष्य में कोई युद्ध नहीं जीत सकती। देश के हर वर्ग को भविष्य की लड़ाई में भाग लेना होगा। हाल के इजरायल-हमास संघर्ष और रूस-यूक्रेन संघर्ष से यह साबित होता है। उन्होंने कहा, रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही इजरायल-हमास संघर्ष भी जारी है।
हमारे पड़ोस में भी अस्थिरता है। पूरी भू-राजनीति बदल रही है। इसका प्रभाव न केवल हमारे देश पर बल्कि हमारी सशस्त्र सेनाओं पर भी पड़ता है। युद्ध लड़ने की पद्धति भी बदल रही है। यही कारण है कि 2023 को सेना ने परिवर्तन के वर्ष के रूप में चिन्हित किया है।
‘मणिपुर संघर्ष राजनीतिक समस्या’ मणिपुर में जातीय झड़पों को राजनीतिक समस्या करार देते हुए कलिता ने कहा कि जब तक सुरक्षा बलों से लूटे गए करीब 4,000 हथियार आम लोगों से बरामद नहीं हो जाते, तब तक हिंसा की घटनाएं जारी रहेंगी।
उन्होंने कहा, हमारा प्रयास हिंसा रोकना और दोनों पक्षों को राजनीतिक समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रेरित करना है। भारत-म्यांमार सीमा के माध्यम से मादक पदार्थों के साथ-साथ हथियारों की तस्करी पर रोक लगा दी गई है। म्यांमार संकट पर लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा, पड़ोस में अस्थिरता हमारे हित में नहीं है। हम शरण चाहने वाले लोगों को आश्रय दे रहे हैं। हम विदेश मंत्रालय और म्यांमार दूतावास से संपर्क में हैं।
कलिता ने कहा कि युवाओं को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम (उल्फा) जैसे संगठनों में शामिल होने से रोकने में समाज को भूमिका निभानी होगी। हाल के दिनों में युवाओं के उल्फा में शामिल होने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर कलिता ने कहा, कुछ गुमराह युवा वहां चले गए हैं, जिससे हम इन्कार नहीं कर सकते। मुझे लगता है कि हमारी भावी पीढ़ी को किसी भी चरमपंथी संगठन में शामिल होने से रोकने में हमारे समाज की भूमिका है।