सशस्त्र सेना झंडा दिवस (7 दिसंबर) भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस, निष्ठा, और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर है। यह दिन हमारे सशस्त्र बलों के प्रति आभार व्यक्त करने और उनके कल्याण में योगदान देने का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान को नमन करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा:
“सशस्त्र बल झंडा दिवस हमारे बहादुर सैनिकों की वीरता, संकल्प और बलिदान को सलाम करने का दिन है। उनकी बहादुरी हमें प्रेरणा देती है, उनके बलिदान हमें विनम्र बनाते हैं, और उनकी निष्ठा हमें सुरक्षित रखती है। आइए हम सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में योगदान दें और सैनिकों के प्रति सम्मान को व्यक्त करें।”
https://twitter.com/narendramodi/status/1865315563117203852
इस दिन का महत्व:
- सेना के कल्याण:
- झंडा दिवस के माध्यम से सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की सहायता के लिए धन संग्रह किया जाता है।
- राष्ट्रीय गौरव:
- यह दिन नागरिकों को सैनिकों के बलिदान की याद दिलाता है और उनकी सेवा का सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है।
- कल्याणकारी योजनाएं:
- सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष से शहीदों के परिवारों, घायल सैनिकों और सेवानिवृत्त सैनिकों की सहायता की जाती है।
योगदान का आह्वान:
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में उदारता से योगदान देने की अपील की है। यह कोष भारतीय सैनिकों और उनके परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए उपयोग किया जाता है।
सशस्त्र बलों की भूमिका:
भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सीमाओं की रक्षा से लेकर प्राकृतिक आपदाओं में सहायता तक, उनके प्रयास हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस हम सभी को भारतीय सैनिकों के प्रति अपना सम्मान और समर्थन व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन के माध्यम से हम उनके बलिदान और सेवाओं को न केवल याद करते हैं, बल्कि उनके कल्याण के लिए भी योगदान देते हैं।
क्यों मनाते हैं सशस्त्र सेना झंडा दिवस ?
सशस्त्र सेना झंडा दिवस हर साल 7 दिसंबर को भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के वीर सैनिकों के सम्मान और उनके बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 28 अगस्त 1949 को रक्षा मंत्री की समिति द्वारा की गई थी, जिसमें सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष की स्थापना की गई. 1993 में रक्षा मंत्रालय ने सभी संबंधित कल्याण कोषों को मिलाकर इसे अधिक प्रभावी बनाया. इस दिन आम जनता और स्वयंसेवक कूपन, झंडे और स्टिकर बेचकर धन जुटाते हैं, जो युद्ध पीड़ितों, सेवा सदस्यों और उनके परिवारों के पुनर्वास और कल्याण के लिए उपयोग किया जाता है.
धन संग्रह के लिए एक बड़ा आयोजन
इस दिन देशभर में भारतीय सशस्त्र इकाइयों द्वारा कई देशभक्ति गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. इनका उद्देश्य जनता को सशस्त्र बलों की सेवाओं के प्रति जागरूक करना और उनकी उपलब्धियों को उजागर करना है. केंद्रीय सैनिक बोर्ड की स्थानीय शाखाओं और गवर्निंग कमेटी द्वारा धन संग्रह का प्रबंधन किया जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य युद्ध पीड़ितों के परिवारों का पुनर्वास, पूर्व सैनिकों के कल्याण और उनकी भलाई सुनिश्चित करना है. यह दिन हर भारतीय को हमारे सैनिकों की वीरता और समर्पण को नमन करने का अवसर प्रदान करता है.