2026-27 की जनगणना: जाति आधारित गणना होगी, वर्ग आधारित नहीं — जानिए इस बार क्या बदलेगा
भारत सरकार ने आगामी जनगणना की रूपरेखा तय कर दी है। यह जनगणना दो चरणों में होगी और इसमें पहली बार सम्पूर्ण जातिगत गणना शामिल होगी, लेकिन वर्गों (जैसे OBC, सामान्य, आदि) की कोई अलग गिनती नहीं की जाएगी। यह बड़ा प्रशासनिक और राजनीतिक बदलाव है।
जनगणना की समय-सीमा
चरण | समय | क्षेत्र |
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प्रथम चरण | 1 अक्टूबर 2026 | पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र |
द्वितीय चरण | 1 मार्च 2027 | मैदानी क्षेत्र |
क्या होगी खास बातें इस जनगणना में?
1. जातिगत गणना (Caste Enumeration)
- हर व्यक्ति से जाति की जानकारी ली जाएगी।
- यह सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा — हिंदू, मुस्लिम, ईसाई आदि सभी को अपनी जाति दर्ज करनी होगी।
- जातियों की सूची व्यापक होगी, लेकिन:
वर्ग (OBC/General/SC/ST आदि) को रिकॉर्ड नहीं किया जाएगा।
2. वर्ग आधारित गिनती नहीं
- एक ही जाति, अलग-अलग राज्यों में भिन्न वर्ग में आती है (जैसे कहीं OBC, कहीं General)।
- इस असंगति को देखते हुए सरकार ने “वर्ग” को गिनने से परहेज किया है।
3. डिजिटल जनगणना
- पहली बार जनगणना डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी।
- अनुमान है कि पूरी प्रक्रिया तीन वर्षों में पूरी हो जाएगी (पहले यह 5 साल लगते थे)।
4. दस्तावेज़ सत्यापन नहीं
- व्यक्ति जो जाति बताएगा, उसे उसी रूप में दर्ज किया जाएगा।
- सत्यापन का कोई विशेष तंत्र नहीं होगा, क्योंकि आरक्षण से संबंधित मामलों में पहले से जाति प्रमाणपत्र आवश्यक होता है।
क्या इससे आरक्षण प्रणाली बदलेगी?
- आरक्षण की सीमा (50%) पर निर्णय सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में है।
- इस जनगणना का आरक्षण सीमा या तत्काल आरक्षण व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- लेकिन सामाजिक और राजनीतिक दल आंकड़ों के आधार पर नई मांग उठा सकते हैं।
क्या इसका परिसीमन पर असर होगा?
- नहीं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह जनगणना विधानसभा/लोकसभा सीटों के परिसीमन पर कोई प्रभाव नहीं डालेगी।
- 2026 का परिसीमन, अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित हो सकता है।
निष्कर्ष:
- यह जनगणना सामाजिक संरचना की वास्तविक जातिगत स्थिति को सामने लाएगी।
- वर्ग की अनुपस्थिति और डिजिटल प्रक्रिया, इसे पारंपरिक जनगणनाओं से अलग बनाएगी।
- आने वाले वर्षों में यह डेटा सामाजिक न्याय, संसाधन वितरण और राजनीतिक रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।