जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग की विपक्ष की मांग हो सकती है खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग की विपक्षी मांग खारिज हो सकती है, क्योंकि राज्यसभा सचिवालय को विपक्ष के प्रस्ताव में कई तकनीकी खामियां मिली हैं। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में कथित हेट स्पीच देने को लेकर 13 दिसंबर को विपक्ष के 55 सांसदों ने राज्यसभा सभापति को महाभियोग का नोटिस दिया था, जिसमें कपिल सिब्बल, जयराम रमेश, विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह, मनोज झा और साकेत गोखले जैसे नेता शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार, इन 55 में से आठ सांसदों के हस्ताक्षर मेल नहीं खाते, जबकि तीन के दस्तखत की पहचान नहीं हो सकी है। कुछ सांसदों ने दोबारा हस्ताक्षर किए, जिससे प्रस्ताव की वैधता पर सवाल उठने लगे हैं। राज्यसभा सभापति ने कई बार सांसदों से दस्तखत वेरिफाई कराने की अपील की थी।
वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर कोई न्यायाधीश इस तरह का बयान देता है, तो वह अपनी शपथ का उल्लंघन करता है और उसे पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि ऐसे लोगों की नियुक्ति कैसे होती है और उन्हें इस तरह की टिप्पणियों की हिम्मत कहां से मिलती है। सिब्बल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे न्यायाधीशों के सामने कोई मामला न आने दे जब तक उस पर निर्णय न हो जाए।
इस पूरे मामले पर अब राज्यसभा सभापति की तकनीकी समीक्षा के बाद निर्णय लिया जाएगा, लेकिन मौजूदा संकेतों से यह स्पष्ट है कि विपक्ष की महाभियोग की मांग खारिज हो सकती है।