लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का यह बयान न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं का परिचय देता है, बल्कि एक स्पष्ट चेतावनी भी है कि भारत अब “प्रतिक्रिया” के मोड में नहीं, बल्कि “सक्रिय सुरक्षा और पूर्व-रोकथाम” (proactive deterrence) के सिद्धांत पर कार्य कर रहा है।
उनके बयान के मुख्य बिंदु:
1. रणनीतिक ठिकानों की सुरक्षा अडिग
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने साफ कहा कि भारत के एयरबेस, लॉजिस्टिक हब और अन्य रणनीतिक ठिकानों की सुरक्षा को भेदना “लगभग असंभव” है। उन्होंने क्रिकेट के उदाहरण के माध्यम से बताया कि हमारी रक्षा प्रणाली परत-दर-परत (layered defense) के रूप में काम करती है — यदि एक परत पार भी हो जाए, तो अगली पहले से तैयार खड़ी है।
2. मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत
भारत की मल्टी लेयर एयर डिफेंस प्रणाली में शामिल हैं:
- S-400 ट्रायम्फ जैसे लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस सिस्टम
- बराक-8 और आकाश जैसे मिड-रेंज सिस्टम
- QRSAM और अन्य शॉर्ट रेंज इंटरसेप्टर्स
इसके अलावा भारतीय वायुसेना और थल सेना के रडार ग्रिड और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम लगातार सीमा की निगरानी करते हैं।
3. “कोहली-थॉमसन-लिली” उदाहरण का अर्थ
क्रिकेट के उदाहरण में उन्होंने थॉमसन और लिली के तेज गेंदबाज़ी आक्रमण की तुलना भारत की एयर डिफेंस से की – यानी निरंतर, थकानरहित और बेहद आक्रामक सुरक्षा रणनीति, जिससे कोई बच नहीं सकता।
4. ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
घई ने बताया कि यह ऑपरेशन सिर्फ “बदला” नहीं था, बल्कि यह आतंकियों की safe havens को नष्ट करने के लिए रणनीतिक एयर प्रिसिजन स्ट्राइक था — LOC और IB के पार जाए बिना।
5. पाकिस्तानी जवाबी हमलों की विफलता
पाकिस्तान की वायुसेना द्वारा 9-10 मई को किए गए जवाबी हमलों में भारतीय एयर डिफेंस ग्रिड ने उनकी हर चाल को नाकाम कर दिया। कोई भी भारतीय एयरफील्ड या लॉजिस्टिक बेस प्रभावित नहीं हुआ।
लेफ्टिनेंट जनरल घई का संदेश दो स्तरों पर था —
- देश के नागरिकों के लिए भरोसा और आश्वासन,
- विरोधियों के लिए सख्त चेतावनी।
भारत अब सिर्फ आतंकी हमलों का जवाब नहीं देगा, बल्कि पहले से तैयारी रखकर हमला निष्क्रिय करने की क्षमता दिखा चुका है।