प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का GLEX 2025 (ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑन स्पेस एक्सप्लोरेशन) को संबोधित करते हुए दिया गया भाषण भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं, वैश्विक दृष्टिकोण और मानवीय भावना के सम्मिलन का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उन्होंने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को केवल तकनीकी उपलब्धियों तक सीमित न रखते हुए उसे “140 करोड़ भारतीयों के सपनों” और “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना से जोड़ा।
PM मोदी का GLEX 2025 में मुख्य संदेश: प्रमुख बिंदु
भारत की अंतरिक्ष यात्रा – एक संकल्प की कहानी
- 1963: छोटे रॉकेट से शुरुआत (थुम्बा लॉन्च)
- 2023: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग – चंद्रयान-3
- 2014: पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुँचना – मंगलयान
“हमारे रॉकेट सिर्फ पेलोड नहीं, 140 करोड़ भारतीयों के सपनों को लेकर उड़ते हैं।” — पीएम मोदी
उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धियाँ
मिशन | उपलब्धि |
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चंद्रयान-1 | चंद्रमा पर पानी के अंश खोजे |
चंद्रयान-2 | चंद्र सतह की उच्चतम-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें |
चंद्रयान-3 | चंद्र दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग |
मंगलयान | पहले प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश |
PSLV रिकॉर्ड | एक ही मिशन में 100 उपग्रहों का प्रक्षेपण |
विदेशी सहयोग | 34 देशों के 400+ सैटेलाइट ISRO द्वारा लॉन्च |
भारत का अंतरिक्ष दर्शन: सहयोग और मानवता के लिए समर्पण
- “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना से प्रेरित – सभी राष्ट्र एक परिवार
- अंतरिक्ष खोज केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ और पूरी मानवता के लिए
- G-20 सैटेलाइट मिशन: वैश्विक दक्षिण को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम
भविष्य की बड़ी घोषणाएँ
वर्ष | लक्ष्य |
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2025 | ISRO-नासा का संयुक्त मिशन – एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाएगा |
2035 | भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित होगा – अनुसंधान व सहयोग का केंद्र |
2040 | एक भारतीय चंद्रमा पर कदम रखेगा |
भविष्य | मंगल और शुक्र मिशन भारत की प्राथमिकताओं में रहेंगे |
PM मोदी का वैश्विक आह्वान
“हम अंतरिक्ष में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे, हम साथ मिलकर ऊंचाइयों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।”
- वैश्विक चुनौतियों का समाधान अंतरिक्ष विज्ञान से संभव है: जलवायु, संचार, कृषि, आपदा प्रबंधन
- भारत की अंतरिक्ष नीति: “Cooperation over Competition”