केंद्र सरकार की ओर से बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में देश की नई संसद में ऐतिहासिक रूप से महिला आरक्षण बिल को पास करा दिया गया है। लोकसभा में इस बिल को 450 सदस्यों ने समर्थन दिया था। वहीं,असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के दो सदस्यों ने इस बिल का विरोध किया था। महिला आरक्षण बिल के खिलाफ वोटिंग पर ओवैसी पर कई सवाल दागे गए थे। अब ओवैसी ने अपनी सफाई पेश करते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों पर ही निशाना साधा है।
क्या बोले ओवैसी?
हैदराबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए AIMIM के प्रमुख ओवैसी ने कहा- “बीजेपी नेता कहते रहते हैं कि हमारे दो सांसदों ने महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ मतदान किया। 450 सांसदों ने विधेयक के लिए मतदान किया और 2 ने खिलाफ में। जब सभी ने कहा कि 450 सांसद मेरे खिलाफ थे, तो मैंने पूरी बात बता दी। देश में कांग्रेस और बीजेपी एक साथ हैं, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी एक साथ हैं। मैं अकेले पीएम मोदी के खिलाफ लड़ रहा हूं और आप सब एक साथ हैं”।
राहुल गांधी को चुनौती
AIMIM के प्रमुख ओवैसी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को भी चुनौती दे दी है। ओवैसी ने कहा कि मैं राहुल गांधी को वायनाड से नहीं बल्कि हैदराबाद से चुनाव लड़ने की चुनौती देता हूं। उन्होंने कहा कि आप बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जमीन पर आइए मुकाबला करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग बहुत बातें करेंगे, लेकिन मैं तैयार हूं। यही कांग्रेस थी जब बाबरी मस्जिद और सचिवालय की मस्जिद गिराई गई।
#WATCH | Hyderabad: AIMIM chief Asaduddin Owaisi says "BJP leaders keep saying that two of our MPs voted against Women's Reservation Bill. 450 MPs voted for and only 2 voted against the bill…When everyone said 450 MPs were against me, I told the entire country that Congress and… pic.twitter.com/yRyUJj6xLP
— ANI (@ANI) September 25, 2023
बिधूड़ी का भी विरोध
ओवैसी ने संसद में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा बसपा सांसद दानिश अली के लिए अपमानजनक टिप्पणी का भी मामला उठाया। उन्होंने कहा कि संसद में भाजपा का एक सांसद एक मुसलमान सांसद को गाली देता है। लोग कह रहे हैं संसद में नहीं बोलना चाहिए था, बोल रहे हैं जुबान खराब थी। यह तो आवाम का नुमांइदा है जिसे तुमने वोट दिया। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब देश की संसद में किसी मुसलमान की मॉब लिंचिंग होगी। उन्होंने पूछा कि कहां गया आपका सबका साथ, सबका विकास?