प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार 25 जून को सांसद पद की शपथ ली। इस दौरान उन्होंने जय फिलिस्तीन का नारा लगाया। इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। ओवैसी की संसद सदस्यता रद्द करने के लिए राष्ट्रपति को शिकायत दर्ज कराई गई है। बता दें कि हैदराबाद लगातार पांचवीं बार सांसद बने ओवैसी ने मंगलवार को लोकसभा में उर्दू में शपथ ली। शपथ लेने से पहले दुआ भी पढ़ी। शपथ के बाद उन्होंने जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और जय फिलिस्तीन के नारे लगाए। ओवैसी के इस नारे के एनडीए के सांसदों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया।
शपथ के बाद प्रोटेम स्पीकर ने चेयर से कहा कि ओवैसी की शपथ का मूल पाठ ही रिकाॅर्ड में लिया जाएगा। बाकी अन्य सभी चीजों को हटा दिया जाएगा। शपथ के बाद उठे विवाद को लेकर ओवैसी ने कहा कि उन्होंने सदन में जय फिलिस्तीन कहा है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग सदस्यों ने अलग-अलग बातें कही हैं। मैंने भी जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और जय फिलिस्तीन कहा। इसमें गलत क्या है? मुझे संविधान के प्रावधान बताएं। महात्मा गांधी की फिलिस्तीन को लेकर क्या कहा था? ये भी बताया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति से सदस्यता रद्द करने की मांग
ओवैसी के जय फिलिस्तीन के बाद सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने मंगवार को राष्ट्रपति को शिकायत की है। इसमें मांग की गई है ओवैसी की सदस्यता रद्द की जाए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत भारत के राष्ट्रपति के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई गई। जिसमें उनकी संसद सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है।
A complaint has been filed before the President of India against Mr. Asaduddin Owaisi in terms of article 102 and 103 of the constitution of india by Mr. Hari Shankar Jain seeking his disqualification as member of parliament. @rashtrapatibhvn @adv_hsjain
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) June 25, 2024
क्या कहता है अनुच्छेद 102
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 102 में अयोग्यता का प्रावधान है। इसके मुताबिक अगर कोई सांसद लाभ के पद पर है उसकी संसद सदस्यता जा सकती है। इसके अलावा कोई भी सांसद जो संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत अयोग्य ठहराया जाता है तो संसद सदस्यता भंग हो सकती है। ओवैसी के मामले में ऐसा कुछ नहीं है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट के वकील द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर राष्ट्रपति कोई एक्शन लेगी या नहीं। हां अगर लोकसभा स्पीकर ओवैसी की नारेबाजी को आचार समिति के पास जांच के लिए भेजते है तो उनकी सदस्यता पर खतरा हो सकता है। क्योंकि आचार समिति सांसदों के आचरण से संबंधित शिकायतों की जांच करती हैं।
दूसरे देश के प्रति निष्ठा दिखाने पर जा सकती है सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार दुबे बताते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत सदस्यों की अयोग्यता की कुछ शर्तें हैं. इसमें से एक शर्त यह भी है कि अगर भारत के अलावा किसी दूसरे देश के प्रति किसी सदस्य की आस्था या विश्वास हो तो उस परिस्थिति में कोई सदस्य अयोग्य होता है. इसके अलावा लोकसभा सचिवालय के नियम के अनुसार शपथ का मजमून पहले से तय है. उसकी भाषाएं तो अलग-अलग हो सकती हैं पर प्रतिज्ञा का फॉर्मेट एक ही है, वह चाहे हिन्दी-अंग्रेजी या आठवीं अनुसूची में शामिल किसी अन्य भाषा में ही क्यों न हो. लेकिन अगर कोई सदस्य अगर दूसरे देश के प्रति आस्था दिखाता है तो उसे स्पीकर अयोग्य घोषित कर सकते हैं.