पराग्वे के राष्ट्रपति सैंटियागो पेना पालासिओस की भारत यात्रा एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राजनयिक पहल है, जो भारत-लैटिन अमेरिका के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर हो रही यह 3 दिवसीय राजकीय यात्रा (1-4 जून), बहुपक्षीय सहयोग के कई आयामों को छूती है।
यात्रा की प्रमुख बातें:
दिल्ली में राजकीय स्वागत और बैठकें:
- राष्ट्रपति पेना ने राजघाट पर जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
- उन्होंने हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की।
- प्रधानमंत्री मोदी ने उनके सम्मान में दोपहर भोज का आयोजन किया।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उनसे मिलेंगे।
- विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ भी बैठक।
मुंबई कार्यक्रम:
- राज्य के राजनीतिक नेताओं, उद्योगपतियों, स्टार्टअप्स और तकनीकी विशेषज्ञों से बातचीत।
- बिजनेस से लेकर नवाचार तक पर संभावित साझेदारियों को बढ़ावा देने की कोशिश।
भारत-पराग्वे संबंध क्यों हैं अहम?
राजनयिक रिश्तों की पृष्ठभूमि:
- 13 सितंबर 1961 को भारत-पराग्वे ने राजनयिक संबंध स्थापित किए थे।
- सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
- व्यापार और निवेश
- कृषि और स्वास्थ्य सेवा
- फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल
- सूचना प्रौद्योगिकी
- संयुक्त उद्यमों में भागीदारी
वैश्विक मुद्दों पर समान सोच:
- संयुक्त राष्ट्र सुधार
- जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा
- आतंकवाद विरोध
- वैश्विक दक्षिण (Global South) के साझा हित
आर्थिक और व्यापारिक महत्व:
- पराग्वे सोयाबीन, चाय, मांस और लिथियम जैसे संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है।
- भारत के लिए यह क्षेत्र ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और संसाधन आधारित साझेदारी के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है।
- कई भारतीय कंपनियाँ, जैसे SUN Pharma, Mahindra, Tata Motors, पराग्वे में पहले से सक्रिय हैं।
इस यात्रा का महत्व:
- यह यात्रा भारत की “Act Latin America” नीति के अनुरूप है, ठीक उसी तरह जैसे “Act East” और “Act Africa” नीति रही है।
- ब्रिक्स, IBSA और G20 जैसे प्लेटफॉर्म पर पराग्वे जैसे देशों के साथ संबंध मजबूत करने का अवसर।
- भविष्य में भारत-पराग्वे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की संभावना को बल मिल सकता है।