पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (23 अप्रैल) को सुनवाई हो रही है. योग गुरु बाबा रामदेव केस में हो रही सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए अदालत पहुंच गए हैं. वहीं, अदालत आने से पहले बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि ने सार्वजनिक माफीनामा जारी किया है. इसमें कहा गया है कि भ्रामक विज्ञापन देने जैसी गलती भविष्य में दोबारा नहीं की जाएगी. कंपनी ने कहा है कि वह अदालत की गरिमा को भी बरकरार रखेगी.
पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया गया है कि वह अदालत और संविधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है. सार्वजनिक माफी में बाबा रामदेव ने अपने वकीलों के जरिए अदालत में बयान देने के बाद भी पतंजलि का विज्ञापन प्रकाशित और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए माफी मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बाबा रामदेव
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रामदेव को नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए. शीर्ष अदालत ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रामदेव पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया गया है.
न्यायालय ने कहा कि उसे रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी करना उपयुक्त लगता है, क्योंकि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन 21 नवंबर, 2023 को अदालत में दिए गए हलफनामे का विषय हैं. इसने कहा कि ऐसा लगता है कि रामदेव द्वारा इनकी पुष्टि की गई. इसने निर्देश दिया कि रामदेव और बालकृष्ण अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश हों. न्यायालय ने कहा, ‘तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, सुनवाई की अगली तारीख पर प्रतिवादी संख्या 5 (पतंजलि आयुर्वेद) के प्रबंध निदेशक की उपस्थिति का निर्देश देना उचित समझा जाता है.”
पतंजलि ने माफीनामे में क्या कहा है?
बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से ये माफीनामा ऐसे समय पर आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई थी. इसमें कहा गया, “पतंजलि आयुर्वेद माननीय सु्प्रीम कोर्ट की गरिमा का पूरा सम्मान करता है. हमारे अधिवक्ताओं के जरिए शीर्ष अदालत में बयान देने के बाद भी विज्ञापन प्रकाशित करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की गलती के लिए हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं.”
माफीनामें में आगे कहा गया, “हम इस बात की प्रतिबद्धता जताते हैं कि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी. हम आपको आश्वस्त करते हैं कि हम संविधान और माननीय सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे.”
IMA ने दायर की थी पतंजिल के खिलाफ याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली बार हुई सुनवाई में योग में रामदेव के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा कि वह और आचार्य बालकृष्ण जांच के दायरे में रहेंगे. दोनों को अपनी गलती सुधारने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया था. पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने याचिका दायर की थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि कंपनी ने मॉडर्न मेडिसिन और कोविड-19 वैक्सीन के खिलाफ दुष्प्रचार किया.