विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने लोकसभा में भारत और चीन के संबंधों और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति बनाए रखने के महत्व पर चर्चा की। उनके बयान ने भारत की रणनीतिक स्थिति और कूटनीतिक प्रयासों को रेखांकित किया, जिसमें सीमावर्ती मुद्दों के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
#WATCH | In the Lok Sabha, EAM Dr S Jaishankar says "We have been very clear that the restoration of peace and tranquility would be the basis for the rest of the relationship to move forward. Since 2020, our engagement was therefore focused on that objective. This took place at… pic.twitter.com/GkGoGnJ0qY
— ANI (@ANI) December 3, 2024
जयशंकर के मुख्य बिंदु:
- चीन के साथ संबंधों की वर्तमान स्थिति:
- भारत-चीन संबंध 2020 के बाद से असामान्य रहे हैं, जब चीन की आक्रामक कार्रवाइयों के कारण सीमा पर शांति भंग हुई।
- उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति और स्थिरता के बिना बीजिंग के साथ संबंधों का सामान्य विकास संभव नहीं है।
- सीमा विवाद पर समाधान की प्रतिबद्धता:
- भारत एक निष्पक्ष और परस्पर स्वीकार्य समाधान की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- सरकार का रुख है कि चीन के साथ संबंधों में सुधार के लिए LAC पर शांति बहाली पहली शर्त है।
- कूटनीतिक प्रयासों का विवरण:
- विदेश मंत्री ने बताया कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते से पहले विभिन्न स्तरों पर कई बैठकें हुईं:
- 4 जुलाई को अस्ताना में चीनी समकक्ष के साथ चर्चा।
- 25 जुलाई को वियनतियाने में सीमा विवाद और सेना के पीछे हटने पर वार्ता।
- 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक।
- विदेश मंत्री ने बताया कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते से पहले विभिन्न स्तरों पर कई बैठकें हुईं:
- LAC की स्थिति और पेट्रोलिंग:
- जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि LAC के कुछ क्षेत्रों में लंबे समय से पेट्रोलिंग नहीं हो पा रही थी, जो दोनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण है।
- हाल की बातचीत ने सेना के पीछे हटने और पेट्रोलिंग मुद्दे पर प्रगति की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं।
- सतत कूटनीतिक प्रयास:
- हाल के घटनाक्रम, जैसे सैन्य वार्ता और सामरिक साझेदारियों पर संवाद, दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली में मददगार रहे हैं।
- विदेश मंत्री ने बताया कि कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, और भारत शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रतिबद्ध है।
भारत की स्पष्ट नीति:
- चीन के साथ संबंधों का विकास तभी संभव है जब सीमा पर शांति बनी रहे।
- भारत राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना, कूटनीतिक और सैन्य दोनों माध्यमों से स्थिति को सुधारने के लिए प्रयासरत है।
In the Lok Sabha, EAM Dr S Jaishankar says "As Members are aware, there is a long history of frictions, transgressions and face-offs in several sectors of the India-China border. This goes back to Barahoti from 1954, to Longju in 1959, to Sumdorong Chu from 1986-1995 and Depsang… pic.twitter.com/ovP5i3zBAv
— ANI (@ANI) December 3, 2024
लंबी बातचीत के बाद बनी सहमतिः जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा, “डेमचोक में, हमारी खानाबदोश आबादी की ओर से पारंपरिक चरागाहों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए अहम स्थलों तक पहुंच का सवाल भी था. फिर दोनों पक्षों के बीच लंबी बातचीत के बाद हाल ही में इस मसले पर सहमति बनी. परिणामस्वरूप, अब पारंपरिक क्षेत्रों में फिर से पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है. शुरुआत में जमीन पर सेना को पीछे भेजने को लेकर मामले की पुष्टि के लिए गश्ती दल भेजकर इसकी पड़ताल भी की गई और सहमति के अनुसार नियमित गतिविधियों का पालन किया जा रहा है.”
In the Lok Sabha, EAM Dr S Jaishankar says "Raksha Mantri has also met the Chinese Defense Minister Dong Jun at the ASEAN Defence Ministers (ADMM+) meeting in Vientiane on November 20, 2024. The two Ministers discussed progress on the recent agreement on disengagement, the need… pic.twitter.com/AMGxDNATvA
— ANI (@ANI) December 3, 2024
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के खत्म होने के बाद वहां के हालात के बारे में लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “21 अक्टूबर को आपस में बनी सहमति के बाद, पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 23 अक्टूबर को कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर मुलाकात की. दोनों नेताओं ने आपसी सहमति का स्वागत किया और विदेश मंत्रियों को बैठक कर संबंधों को स्थिर करने और पुनर्निर्माण करने का निर्देश भी दिया.”
In the Lok Sabha, EAM Dr S Jaishankar says "Following the October 21 understanding, Prime Minister and President Xi Jinping had a meeting on the sidelines of the BRICS Summit in Kazan on October 23. They welcomed the understanding and directed the Foreign Ministers to meet and… pic.twitter.com/NQERjDg19I
— ANI (@ANI) December 3, 2024
निष्पक्ष और स्वीकार्य समाधान तलाशेंगेः जयशंकर
उन्होंने आगे कहा कि विशेष प्रतिनिधियों को सीमा विवाद का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के अलावा शांति और सौहार्द के प्रबंधन की देखरेख भी करनी है. इसी के तहत मैंने हाल ही में पिछले महीने 18 नवंबर को रियो डी जेनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री वांग यी के साथ फिर से चर्चा की.”
In the Lok Sabha, EAM Dr S Jaishankar says "In the lead up to the October 21 agreement, I had discussed both the specific disengagement issue as well as the larger relationship with my Chinese counterpart in Astana on 4 July and Vientiane on 25 July. Our National Security Advisor… pic.twitter.com/ubOnzUqLfj
— ANI (@ANI) December 3, 2024
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने चीन के साथ संबंधों में सुधार की कोशिशों के बारे में कहा, “रक्षा मंत्री (राजनाथ सिंह) ने 20 नवंबर को वियनतियाने में आसियान रक्षा मंत्रियों (एडीएमएम+) की बैठक में चीनी रक्षा मंत्री डोंग जून से भी मुलाकात की. दोनों मंत्रियों ने हाल ही में हुए सेना के पीछे हटने की प्रगति, तनाव कम करने की जरुरत और आपसी रिश्तों में विश्वास-निर्माण उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता पर चर्चा की.”
#WATCH | In the Lok Sabha, EAM Dr S Jaishankar says "The situation arising after our counter deployment in 2020 called for multiple sets of responses. The immediate priority was to ensure disengagement from friction points so that there would be no further untoward incidents or… pic.twitter.com/7hpZcWvcco
— ANI (@ANI) December 3, 2024
उन्होंने आगे कहा कि वे अलग-अलग स्तरों पर बैठकों और परामर्शों को जारी रखने के महत्व पर भी राजी हुए. सदन को याद होगा कि 21 अक्टूबर का समझौता पूर्वी लद्दाख में टकराव के कई बिंदुओं पर स्थिति के समाधान के संबंध में सबसे नया समझौता है. दोनों देश इस साल अक्टूबर में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग के लिए एक समझौते पर सहमत हुए थे.