सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (14 मई) को चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेताओं के कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया. पूर्व नौकरशाह ईएएस शाह और फातिमा नाम के याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग को पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने की मांग की थी. प्रधानमंत्री के 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में दिए गए चुनावी भाषण पर आपत्ति जताई गई थी.
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि यह ऐसा विषय नहीं है, जिसके लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जाए. याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखनी चाहिए. पीठ ने मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का फैसला किया. फिर याचिका को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया.
SC refuses to entertain plea seeking disqualification of PM for alleged hate speech in campaigns
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— ANI Digital (@ani_digital) May 14, 2024
पीएम मोदी ने मांगा था भगवान के नाम पर वोट: याचिकाकर्ता
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, “मैंने पीएम मोदी के जरिए दिए गए भाषणों को संलग्न किया है, जहां उन्होंने साफ तौर पर भगवान के नाम पर वोट मांगा है.” जस्टिस नाथ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले चुनाव आयोग से संपर्क किए बिना सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जस्टिस ने आगे कहा, “इस तरह अनुच्छेद 32/226 के तहत न आएं. आपको प्राधिकरण से संपर्क करना होगा. यदि आप हटना चाहते हैं, तो हम आपको इजाजत देंगे.”
The Supreme Court on Tuesday (May 14) refused to entertain a petition seeking to disqualify Prime Minister Narendra Modi from elections for allegedly making hate speeches and invoking religion during campaigns.
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चुनाव आयोग के पास जाइए, ये आपकी समस्या: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद याचिकाकर्ता याचिका वापस लेने पर सहमत हो गया, लेकिन उसने चुनाव आयोग से संपर्क करने की इजाजत मांगी. इस पर अदालत ने कहा, “हमें (इजाजत क्यों देनी चाहिए)? यह आपका काम है, आपकी समस्या है.” कोर्ट ने एक अन्य याचिका भी खारिज कर दी जिसमें कथित नफरत भरे भाषणों के लिए पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी.