उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के पूरनपुर तहसील के सिख बहुल गांवों—सिंघाड़ा उर्फ टाटरगंज, भागीरथ और बेल्हा—में हाल ही में बड़े पैमाने पर सिखों के ईसाई धर्म में धर्मांतरण की घटनाएं सामने आई हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन गांवों में लगभग 3,000 सिखों का धर्मांतरण किया गया है, जिनमें से कई अब “घर वापसी” कर पुनः सिख धर्म अपना चुके हैं।
धर्मांतरण के पीछे के कारण
इन धर्मांतरणों के पीछे मुख्य रूप से गरीबी, अशिक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इन गांवों में बाढ़, बेरोजगारी और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जिससे वे बाहरी प्रभावों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई
धर्मांतरण के मामलों में स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। हजारा थाना क्षेत्र में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें आठ नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। आरोपों में लालच, दबाव और झूठे वादों के माध्यम से धर्मांतरण शामिल हैं।
सिख संगठनों की प्रतिक्रिया
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इन घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और एक टीम को पीलीभीत भेजा है ताकि वे स्थिति की जांच कर सकें और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकें। SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि किसी भी धर्म के अनुयायियों को लालच या दबाव के माध्यम से धर्मांतरण करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
पीलीभीत जिले में सिख समुदाय के धर्मांतरण की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। प्रशासनिक जांच और सिख संगठनों की सक्रियता से उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।