संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार को शुरू हुआ। इस सत्र में संसद की 75 साल की यात्रा और नई इमारत में सदन की कार्यवाही पर चर्चा होगी। सत्र के दौरान आठ विधेयकों को भी विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। राज्यसभा और लोकसभा में ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ पर चर्चा हो रही है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का आह्वान किया और देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा में विभिन्न नेताओं द्वारा किए गए योगदान को याद किया। उन्होंने सरकार को नियंत्रण में रखने में विपक्ष की भूमिका पर भी जोर दिया।
गोयल ने इन नेताओं को किया याद
संसद में चर्चा शुरू होने के साथ ही गोयल ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, शंकर दयाल शर्मा, कोचेरिल रमन नारायणन, भैरों सिंह शेखावत, मोहम्मद हामिद अंसारी, एम वेंकैया नायडू और धनखड़ सहित उच्च सदन के विभिन्न अध्यक्षों द्वारा संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में किए गए योगदान को याद किया।
गोयल ने कहा कि जहां निर्वाचित सांसदों ने लोकतंत्र को मजबूत करने में बड़ा योगदान दिया है, वहीं मनोनीत राज्यसभा सदस्यों ने भी अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। केंद्रीय मंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को भी याद किया, जिसकी प्रक्रिया उच्च सदन में शुरू हुई थी। अपने लगभग 40 मिनट के भाषण में ‘तीन तलाक’ और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित कानून मुद्दे को भी उन्होंने उठाया।
संसदीय लोकतंत्र की 75 साल की यात्रा पर था गोयल का भाषण
गोयल का अधिकांश भाषण भारत के संसदीय लोकतंत्र की 75 साल की यात्रा और नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 9 वर्षों की उपलब्धियों पर केंद्रित था, उन्होंने कुछ अप्रिय यादों पर भी प्रकाश डाला, जैसे कि आपातकाल, 2001 संसद पर आतंकवादी हमला, नकदी- वोट के बदले घोटाला और तेलंगाना राज्य के निर्माण से जुड़ी संसदीय कार्यवाही।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने कहा कि सरकार को नियंत्रण में रखने में विपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका है और कहा कि संसद लोकतंत्र को जीवित रखने वाली एक संस्था है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने संसद सदस्यों से महिला सशक्तीकरण और भारत को भ्रष्टाचार मुक्त, विकसित देश बनाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया।