राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का अपमान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने चिदंबरम से सदन में माफी मांगने की मांग की है।
दरअसल, पीयूष गोयल ने प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा तब उठाया, जब चिदंबरम ने आसन से सवाल किया कि मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर किसी भी प्रश्न का उत्तर क्यों नहीं दिया गया या सदन में उठाए जाने के लिए स्वीकार क्यों नहीं किया गया।
चिदंबरम ने क्या कहा?
चिदंबरम ने कहा कि सवालों को तारांकित और अतारांकित के रूप में वर्गीकृत किया गया है और कई सदस्यों ने उनसे कहा है कि मणिपुर के बारे में सवाल पूछे गए हैं, लेकिन उन्हें न तो स्वीकार किया गया और न ही लिखित जवाब दिया गया। उन्होंने कहा कि जब मैंने पूछा कि 20 जुलाई को संसद सत्र शुरू होने के बाद से आज तक मणिपुर विषय पर कौन से प्रश्न स्वीकार किए गए और उत्तर दिए गए हैं। इस पर आए उनके जवाब ने मुझे चौंका दिया। इस विषय पर एक भी प्रश्न स्वीकार नहीं किया गया है या उत्तर नहीं दिया गया है।
पीयूष गोयल ने चिदंबरम पर उठाए सवाल
इस पर सभापति ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि कांग्रेस सांसद क्या बात कह रहे हैं या उन्हें कोई शिकायत है। इसके बाद पीयूष गोयल उठे और उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि एक सदस्य सभापति से सवाल करते हुए उनपर टिप्पणी कर रहा है।
‘चिदंबरम को सभापति से मांगनी चाहिए माफी’
गोयल ने कहा कि सभापति को विवाद में घसीटा गया है। मेरा मानना है कि चिदंबरम को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने जो सवाल सभापति पर उठाए हैं, वे एक तरह से अवमानना हैं और जब तक वह सभापति से माफी नहीं मांगते, हम बाकी चीजें करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह चिदंबरम का वास्तविक तरीका था, लेकिन एक बुद्धिजीवी की आड़ में वह आसन का अपमान नहीं कर सकते।
साथ ही गोयल ने यह भी कहा कि सदन में मौजूद और चेयर द्वारा बुलाए जाने के बावजूद भी सदस्य सवाल नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि आपको यह निर्णय लेना चाहिए कि भविष्य में ऐसे सदस्यों द्वारा सवाल उठाने की अनुमति नहीं दी जाए।
मैं पूरे मामले से वाकिफ हूं- धनखड़
वहीं, धनखड़ ने कहा कि मैंने रिकॉर्ड देखा है और ऑडियो भी सुना है, क्योंकि चिदंबरम ने कल जो कहा और उसके बाद जो कहा दोनों ही बयान मेल नहीं खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने रिकॉर्ड देखा है। मैं मामले से वाकिफ हूं और मुझे पूरा यकीन है कि जब उनके कद का एक वरिष्ठ सदस्य कार्यपालिका में इस तरह की टिप्पणी करता है तो क्या रास्ता हो सकता है। मैं सदस्यों से भी मार्गदर्शन मांगूंगा। मैं इस मामले से वाकिफ हूं और जब मैं इस पर विचार कर लूंगा तो चर्चा होगी।
धर्मेंद्र प्रधान ने उठाया उच्च सदन में शिष्टाचार का मुद्दा
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी उच्च सदन में शिष्टाचार का मुद्दा उठाया और कहा कि पूरक प्रस्तुत करने के बाद सदस्यों द्वारा प्रश्न नहीं पूछना असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है, उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि ये वे लोग हैं जो सवाल पूछने के बाद भाग जाते हैं और अपना चेहरा छिपा लेते हैं। ये लोग कायर हैं।